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tata-steel-adventure-foundation-टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की अस्मिता दोरजी देश की पहली महिला बनी, जो बिना किसी ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई तक पहुंची, माउंट एवरेस्ट तक की 8745 मीटर तक की चढ़ाई चढ़ने में रही कामयाब, जानें कैसा रहा यह साहसिक यात्रा

राशिफल

जमशेदपुर : टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडर की इंस्ट्रक्टर 38 वर्षीय अस्मिता दोरजी माउंट एररेस्ट के 8848 मीटर की ऊंचाई वाली चोटी पर बिना किसी सपोर्ट ऑक्सीजन के पहुंचने में सफल रही. वे माउंट एवरेस्ट के साउथ समिट 8745 मीटर को 13 मई को पहुंची और सुरक्षित वापस भी लौट आयी. यह सफलता हासिल करने वाली वे पहली भारतीय महिला बनी है. उनका यहां आने पर टाटा स्टील के वीपी सीएस चाणक्य चौधरी ने स्वागत किया. चाणक्य चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि हम लोगो के बीच फिर से अस्मिता वापस लौट आयी, वो भी बिना ऑक्सीजन के 8745 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचकर, यह सबसे गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि वह इतनी ऊंचाईयों तक पहुंच पायी और यह सफलता अर्जित की. उन्होंने बताया कि टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन इस तरह के साहसिक यात्रा को आगे भी ले जाते रहेंगे और हर संभव मदद करते रहेंगे. इस मौके पर पर्वतारोही कर लौटी अस्मिता दोरजी ने कहा कि वह थोड़ी मायूस तो है, लेकिन वह काफी संतुष्ट भी है. इसके लइे वह करीब तीन साल से लगातार मेहनत कर रही थी. इसके जरिये हमेशा अपने आपको मजबूत बनाने, अपने स्टेमिना को बनाये रखने के लिए लगातार मेहनत की है. उन्होंने बताया कि 8000 मीटर के ऊपर की चढ़ाई को डेथ जोन के रुप में देखा जाता है, लेकिन हमने साहस किया. ऊपर काफी तेज हवाएं है, काफी ठंड है और हवा कम होता जाता है. काफी कम ऑक्सीजन होने के कारण चल पाना मुश्किल होता है. उन्होंने बताया कि 7100 मीटर की ऊंचाई के बाद जा पाना और फिर वहां से वापस लौट पाना ही मुश्किल काम होता है. उन्होंने बताया कि दुनिया में काफी कम लोग ही है, जो बिना ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई तक पहुंच पायी है. बताया जाता है कि 8745 मीटर की ऊंचाई तक बिना ऑक्सीजन के पहुंचने के बाद शेरपाओं ने फैसला लिया कि अब और ऊंचाई तक जा पाना खतरनाक होगा. अस्मिता ने अपनी आंखों की रोशनी कुछ देर के लिए अस्थायी तौर पर खो दी थी. बाद में उनको 8000 मीटर के साउथ समिट कैंप में लाया गया, जिसके बाद वह फिर से ऊपर जाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन चिकित्सकों ने उनको वापस जाने की सलाह दी, जिसके बाद वह 18 मई को वापस आने की शुरुआत की और काठमांडू वह 22 मई को वापस लौट पायी.
कैसे हुई शुरुआत, कैसे पहुंची इस सफलता तक
टाटा स्टील के वीपी सीएस चाणक्य चौधरी ने टाटा स्टील फाउंडेशन के हेड हेमंत गुप्ता और मैनेजर प्रेमलता अग्रवाल के साथ मिलकर इस टीम को रवाना किया था. 29 मार्च को यह टीम वहां रवाना हुई थी. अस्मिता ने 3 अप्रैल को भारत छोड़ा और काठमांडू पहुंची. इसके बाद वह 17500 फीट की ऊंचाई के एवरेस्ट के बेस कैंप में पहुंची. 14 अप्रैल को वह खुंबू रीजन तक 8 दिनों के ट्रैकिंग के बाद पहुंची. इसके बाद वह 20075 फीट की ऊंचाई वाले माउंट लोबोचे इस्ट को 20 अप्रैल को पार की. 23000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर वह तीन बार इसकी परिक्रमा की क्योंकि वह बिना ऑक्सीजन के ही ऊंचाई पर जाने वाली थी. इसके बाद वह 9 मई को बेस कैंप से फाइनल चढ़ाई शुरू की. खतरनाक खंभू आइसफॉल वह 21 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच गयी. इसके बाद वह 26400 फीट की ऊंचाई तक पहुची और फिर अपनी इच्छा शक्ति के जरिये वह सबसे ऊंचाई तक पहुचने में कामयाब रही. टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के माध्यम से उन्होंने इस पूरी सफलता को हासिल किया.

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