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tata-steel-adventure-foundation-टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के फिट@50+ महिला ट्रांस हिमालयन अभियान 2022 ने किया अंतिम चरण में प्रवेश, भारत भर से 50 वर्ष से अधिक उम्र की 12 महिलाएं भाग ले रही हैं, लगातार 100 दिनों से अधिक की ट्रेकिंग और 3,912 किमी की दूरी तय की

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जमशेदपुर : टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) ने फिटइंडिया, युवा कार्यक्रम,खेल मंत्रालयऔरभारतीयसेना के सहयोग से फिट इंडिया बैनर तले फिट@50+ महिला ट्रांस हिमालयन अभियान ’22 नामक एक अनूठा अभियान आयोजित किया है. इस अभियान में पहली बार पूरे भारत से 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र के महिला प्रतिभागी शामिल है. इस अभियान का नेतृत्व प्रसिद्ध पर्वतारोही और माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला तथा पद्म भूषण और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित बछेंद्री पाल कर रही हैं. टीम में 3 महिला एवरेस्ट समिटर्स भी शामिल हैं. फिट@50+ महिला ट्रांस हिमालयन अभियान ’22 भारत @75 का जश्न मना रहा है और यह अभियान ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ को समर्पित है. 5 महीने लंबे इस अभियान में पूर्व से पश्चिम तक हिमालय की यात्रा करना शामिल है – जिसके तहत अरुणाचल से लद्दाख तक 4,977 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करना और लगभग 37 पर्वतीय दर्रों को पार करना है. उच्चतम मानवीय सहनशीलता की मिसाल के रूप में 14-सदस्यीय टीम की यह यात्रा अरुणाचल प्रदेश से शुरू होकर असम, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, नेपाल, कुमाऊं, घरवाल, हिमाचल, स्पीति, लेह लद्दाख से होकर कारगिल में समाप्त होगी. इस आईडिया का बीजारोपण कुछ साल पहले हुआ था जो 2022 में पर्वतारोहण अभियान में बदल गया. टीम अब हर दिन 20-25 किमी चलती है. जब यह अभियान आरंभ हुआ तो पर्वतारोहियों को उत्तर पूर्व की चिलचिलाती गर्मी का सामना करना पड़ा और अब उत्तराखंड में मानसून की वर्तमान स्थिति की कल्पना करना मुश्किल नहीं होगा. हालांकि मॉनसून ने टीम के सदस्यों के लिए चुनौती और बढ़ा दी है, लेकिन वे शुरू से ही अदम्य साहस के साथ बाधाओं पर काबू पा रहे हैं. इस अभियान का उद्देश्य हमारे समाज की सोच को सकारात्मक ढंग से बदलना है और फिट रहने की आवश्यकता को उजागर करना और यह प्रदर्शित करना है कि एक फिट और स्वस्थ जीवन शैली के लिए उम्र और लिंग कोई बाधा नहीं है. यह हमारे पूरे समुदाय के लिए महिला सशक्तिकरण, नेतृत्व, निर्णय लेने, जीवन शैली और फिटनेस के महत्व को भी दर्शाता है. जैसे-जैसे विश्व स्तर पर जीवन काल में वृद्धि हुई है, विभिन्न गतिविधियों में 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ना महत्वपूर्ण हो गया है. यह अभियान सभी आयु वर्ग की महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए अपने दैनिक जीवन में फिटनेस गतिविधियों को शामिल करने के लिए प्रेरित और उत्साहित करेगा. कोविड महामारी के इस दौर में महिलाओं का स्वास्थ्य और फिटनेस परिवारों और राष्ट्र निर्माण दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हिमालय की बर्फीली चोटियों तक ट्रेकिंग करते हुए इसकी सुंदरता को निहारना हर किसी का सपना होता है. ये सफर ढेर सारी अपेक्षाएं भी रखता है. खराब मौसम और कठिन इलाके में कई चुनौतियों से पार पाने के लिए इसे धैर्य और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है. हिमालय की यात्रा मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और शारीरिक चुनौतियों की मांग करती है और उन्हें उसी अनुसार ढालती है और ‘कर सकते हैं’ की भावना को मजबूत करती है. यह अभियान वरिष्ठ नागरिकों के बीच एक आशा प्रदान करेगा और एक नया रास्ता तैयार करेगा कि 50+ या 60+ की उम्र में भी अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है. टीम अभी उत्तराखंड में है और 17,330 फीट की ऊंचाई पर पूरे अभियान के सबसे कठिन दर्रों में से एक लमखागा दर्रे को पार करने वाली है. युद्ध में सैनिकों के बलिदान को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को मनाए जाने वाले कारगिल विजय दिवस के अवसर पर टीम कारगिल में अभियान को समाप्त करने वाली है. टीम ने मार्च 2022 में इस अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान के माध्यम से महिलाओं की ताकत दिखाने के लिए 08 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इस अभियान को झंडी दिखाकर रवाना किया गया था. इसके बाद उन्होंने विस्तारा से अरुणाचल प्रदेश के लिए उड़ान भरी और 12 मार्च को भारत म्यांमार सीमा पर पांग-साऊ दर्रे से ट्रेकिंग शुरू की. इस साहसी टीम में 50 वर्ष से अधिक उम्र की 12 महिलाएं शामिल हैं, जिनका नेतृत्व 1984 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल कर रही हैं. महिलाओं की यह टीम अलग-अलग पृष्ठभूमि से है, कॉर्पोरेट नौकरी से लेकर रक्षा कर्मियों तक, पर्वतारोही से लेकर गृहिणी तक, और आउटडोर ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर से लेकर अब सेवानिवृत्त लोकोमोटिव चालक तक. सबसे छोटी सदस्य की उम्र 54 साल और सबसे बड़ी सदस्य 68 साल की हैं. इन महिलाओं के अलावा, कुछ अन्य महिलाएं भी 10 दिनों की छोटी अवधि के लिए अतिथि ट्रेकर्स के रूप में शामिल हुई हैं. प्रेरक कहानी का एक उदाहरण गीता पटेल है जो एक 70 वर्षीय महिला है जो लमखागा दर्रे को पार करने के लिए चल रही है. इस अभियान का आयोजन टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा प्राथमिक प्रायोजक के रूप में फिट इंडिया के सहयोग से किया जा रहा है. भारतीय सेना, आईटीबीपी और एसएसबी से सबसे बड़ा समर्थन और संचालन सहायता मिली है. उन्होंने पूरे मार्ग में टीम का स्वागत करने और उन्हें घर का एहसास कराने के लिए विभिन्न इकाइयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से लेकर काफी मदद की है. उनके अलावा, विस्तारा (अभियान का आधिकारिक एयरलाइन भागीदार), टाटा एआईजी, टाटा स्पोर्ट क्लब, टाइटन के ट्रैक ने अभियान दल द्वारा व्यक्तिगत बचत के अलावा अभियान के खर्चों को वहन करने के लिए नकद और अन्य मदद की है. अभियान के लिए एक समर्पित वेबसाइट भी शुरू की गई है. वेबसाइट अभियान विवरण प्रदान करेगी और लोग https://www.transhimalayanexpedition.org पर एक इंटरेक्टिव मानचित्र के माध्यम से यात्रा की प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं. फेसबुक और इंस्टाग्राम पर समर्पित हैंडल हैं, जबकि लिंक्डइन, यूट्यूब और ट्विटर टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन हैंडल के माध्यम से हैं.

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