जमशेदपुर : मानगो स्थित जमशेदपर वर्कर्स कॉलेज में आईक्यूएसी सेल एवं हिंदी विभाग के सहयोग से सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर ‘मातृभाषा की अस्मिता का संकट’ विषयक वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार में बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों के शिक्षक, छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। वेबीनार की शुरुआत हिंदी विभागाध्यक्ष सुनता गुड़िया के विषय प्रवेश से हुआ। मुख्य अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय प्रोफेसर (डॉ) गंगाधर पांडा ने संस्कृत भाषा को इतिहास से जोड़कर भाषा की अस्मिता के संकट को समझाने का प्रयास किया। उनके अनुसार किसी भी विषय को अपनी परिवर्तनशीलता को बनाए रखना जरूरी है। प्राचीन काल में राजाओं की भाषा पर नीति एवं अंग्रेज काल में बनाई गई नीति ने कैसे मातृभाषा के विकास में अवरोध उत्पन्न किया इस पर महत्वपूर्ण जानकारी उन्होंने दी। (नीचे भी पढ़ें)
प्राचार्य डॉ सत्यप्रिय महालिक ने इस अवसर पर कॉलेज के रोटरेक्ट क्लब की ओर से मातृभाषा से संबंधित किताब को लोगों को के बीच वितरित करने एवं कॉलेज द्वारा इससे संबंधित मैगजीन का प्रकाशन करने की बात की और साथ ही उन्होंने यह आग्रह किया कि जब कभी अपने भाषा भाषी लोग क्षेत्रों के लोगों से मिले तो उनसे अपने भाषा में ही बात करें। वेबिनार की अगली कड़ी में राजनीतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार महापात्र ने भाषा और संस्कृति के बीच के संबंध को गहराई से रेखांकित किया। उनके अनुसार भाषा का संकट केवल भाषा का संकट नहीं है बल्कि संस्कृति का भी संकट है और इस भाषा को अपने आप को बचाए रखने के लिए इस संचार युग में अपने आप को परिवर्तनशील होना पड़ेगा। इस वेबीनार का संचालन कुमारी प्रियंका इंग्लिश के सहायक प्राचार्य एवं इस वेबीनार का परिचय आइक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर सुभाष चंद्र दास ने दिया।