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Netaji-subhash-university-first convocation-ceremony : नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित, राज्यपाल रमेश बैस ने कहा-जीवन का मकसद केवल डिग्री हासिल करना नहीं, बल्कि अपनी क्षमता व प्रतिभा से अपनी सही पहचान स्थापित करें

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जमशेदपुर : जमशेदपुर के नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में सोमवार को प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में राज्य के राज्यपाल सह विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति रमेश बैस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से शामिल हुए. उन्होंने कहा कि महान देशभक्त नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है. सर्वप्रथम मैं उपाधि ग्रहण करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. साथ ही साथ उन शिक्षकों एवं अभिभावकों को भी बधाई देता हूं जिनके कारण उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की है. हमारा प्रयास है कि राज्य के अधिक से अधिक युवा वर्ग उच्च शिक्षा ग्रहण करें, चाहे वो किसी भी वर्ग के हो। ज्ञान हासिल करने में जाति, धर्म व वर्ग कभी भी बाधक न बने. शिक्षा से ही लोगों में जागृति आ सकती है तथा सामाजिक कुरीतियों का पूरी तरह से अंत हो सकता है. ज्ञान और तकनीक आधारित इस युग में विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होना चाहिए. आज का युग प्रतियोगिता का युग है और इस युग में कक्षा में सीखे ज्ञान की सार्थकता, उसके सामाजिक प्रतिफलन में है. हमारे शिक्षण संस्थानों की यह कोशिश होनी चाहिए कि विद्यार्थी एक सामाजिक, सु-संस्कृत और कुशल नागरिक के रूप में विकसित हों. वे नैतिकवान एवं चरित्रवान हों. ऐसे नागरिक निश्चित रूप से देश और समाज के लिए अमूल्य संपदा सिद्ध होंगे. इन अर्थों में देखें तो दीक्षांत समारोह शिक्षा का समापन नहीं, बल्कि आरम्भ होता है. (नीचे भी पढ़ें)

राज्यपाल श्री बैस ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज आप उपाधि ग्रहण कर रहे हैं. केवल उपाधि हासिल करना ही सिर्फ आपके जीवन का मकसद नहीं होना चाहिए. अब आप यहां से जीवन के कर्म-क्षेत्र में प्रवेश करेंगे, जहां आपको अपनी क्षमता एवं प्रतिभा से अपनी सही पहचान स्थापित करनी है. आप लोगों को अपने कैरियर का चयन करना है और इसमें सफलता के लिए एक अनुशासित जीवन अति आवश्यक है. आप कभी भी अपने-आपको कमजोर न समझें, हमेशा मजबूत इरादों के साथ लक्ष्य प्राप्ति हेतु निरंतर आगे बढ़ें और अपनी प्रतिभा का ऐसा परचम लहरायें कि आपको यह विश्वविद्यालय ही नहीं, बल्कि पूरा राज्य और देश एक आदर्श उदाहरण के रूप में देखे. विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा के इन आदर्शों को आत्मसात कर आगे बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिये, यह समाज एवं राष्ट्रहित में नितांत आवश्यक है. व्यक्ति का सर्वांगीण विकास शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है. एक पूर्ण और बेहतर जीवन भी इसके स्पष्ट लाभों में से एक है. शिक्षा में समग्र रूप से समाज को लाभान्वित करने की क्षमता है. ऐसे समाज में लोग अपने अधिकारों और दायित्वों के प्रति जागरूक होते हैं. विश्वविद्यालय को भी गुणात्मक शिक्षा की दिशा में पूर्णतः ध्यान देना चाहिये. हमारे राज्य के निजी विश्वविद्यालय सरकार एवं यूजीसी के नियमों और गाइडलाइन्स का अनुपालन करें. विश्वविद्यालय को छात्रहित में समर्पित होकर कार्य करना चाहिए. हमारे शिक्षक विद्यार्थियों का बेहतर और सही मार्गदर्शन प्रदान करें, उन्हें इनोवेटिव विचार के प्रति जागरूक करें. हमारे राज्य के निजी विश्वविद्यालय शिक्षा का ऐसा वातावरण स्थापित करने हेतु अग्रसर हों ताकि सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालय भी आपसे प्रेरणा ले सकें. इसी दृष्टिकोण से राज्य में स्थापित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ मैंने समीक्षा बैठक की तथा शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिया.

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