जमशेदपुर : वैश्विक महामारी का दौर अभी थमा नहीं है. देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. वैसे अनलॉक के दौरान केंद्र और राज्य सरकारें हर विवादित मामलों में एक निश्चित मानदंड तय कर दिया है. लेकिन स्कूलों के फीस वसूली मामले में न तो केंद्र सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन दिया गया है, न ही राज्य सरकार इस महत्वपूरण मामले में दिलचस्पी दिखा रही है. इधर निजी स्कूल अभिभावकों पर जबरन फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं. यहांतक कि निजी स्कूलों की ओर से वार्षिक शुल्क भी वसूला जा रहा है, और फाईन भी लिया जा रहा है. लाचार, बेबस अभिभावक बच्चों का फीस जमा करा रहे हैं. वैसे लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में इस मामले को लेकर खूब हो हंगामा हुआ, लेकिन जैसे- जैसे लॉकडाउन की अवधि बढ़ती गयी, यह मामला ठंडा होता गया, और अब जब स्कूल खुलने के आसार नजर आने लगे, तो निजी स्कूल अभिभावकों पर दबाव बनाने शुरू कर दिए है. वहीं सरायकेला- खरसावां जिले के निजी स्कूलों की मनमानी भी सामने आने लगे हैं.
खासकर आदित्यपुर स्थित डीएवी एनआईटी अभिभावकों को मैसेज भेजकर फीस जमा कराने का दबाव ही नहीं बना रहे, बल्कि अभिबावकों से वार्षिक शुल्क भी वसूल रहे हैं. आपको बता दें डीएवी एनआईटी मे ज्यादातर औद्योगिक क्षेत्र के कामगारों और मध्यम वर्ग के अभिभावकों के बच्चे पढ़ते है. कोरोना संक्रमण काल में औद्योगक सेक्टरों का बुरा हाल हो चुका है. ज्यादातर अभिभावक स्कूलों के भारी- भरकम फीस जमा करने की स्थिति में नहीं है. वहीं स्कूल प्रबंध अपने शिक्षकों एवं कर्मचारियों को तनख्वाह देने के नाम पर अभिभावकों से फीस की माग कर रहा है. आनलाईन फीस जमा करा रहे अभिभावकों से सालाना शुल्क और फाईन के साथ फीस की वसूली की जा रही है. इधर स्कूल द्वारा मनमाने तरीके से फीस वसूले जाने के नाम पर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग सरकार से किसी तरह का गाइडलाइन नहीं आने का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं. इधर सोमवार को कुछ अभिभावक स्कूल पहुंचे, लेकिन प्राचार्य स्कूल नहीं आए थे, जिसके चलते अभिभावक वापस लौट गए. फिलहाल डीएवी स्कूल के रवैये से अभिभावक परेशान हैं, और धीरे- धीरे आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं. जिला प्रशासन को मामले की गंभीरता तो देखते हुए उचित कार्रवाई करने की जरूरत है. खासकर सरकार के आदेश आने तक स्कूल द्वारा फीस वसूली पर रोक लगाने की विशेष जरूरत है.