जमशेदपुर : अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (एआईफुक्टो) के आह्वान पर बुधवार को देश भर में कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने यूजीसी के निर्देश के खिलाफ ऑनलाइन विरोध-प्रदर्शन दर्ज कराया. एआईफुक्टो के राष्ट्रीय सचिव डॉ विजय कुमार पीयूष ने यूजीसी के 6 जुलाई के पत्र के अनुसार सितंबर माह में अनिवार्य रूप से परीक्षा लेने संबंधी मेंडेटरी के विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर ‘आयोजित ऑल इंडिया प्रोटेस्ट डे’ को पूर्णता सफल बताया.
उन्होंने बताया कि देश के प्राय: सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों ने इसमें भागीदारी निभाई. व्यक्तिगत स्तर पर वह न सिर्फ घर में धरने पर बैठे, बल्कि जहां संभव हुआ सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए महाविद्यालय कार्यालय या गेट के समक्ष उन्होंने विरोध का कार्यक्रम किया. डॉ पीयूष ने यह भी बताया के शिक्षक संघ के अतिरिक्त विभिन्न छात्र संगठनों, अभिभावक संगठनों तथा अन्य शैक्षणिक क्षेत्र के संगठनों ने भी इस कार्यक्रम का समर्थन किया एवं विरोध में भागीदारी निभाई.
डॉ पीयूष ने बताया कि रांची में डॉ राजकुमार, डॉ हरिओम पांडे, डॉ एलके कुंदन, डॉ संजीव लोचन, सिद्धू कानू विश्वविद्यालय में डॉ नवीन कुमार, सिंह डॉ कौशलेंद्र कुमार, कोल्हान विश्वविद्यालय में डॉ राजेंद्र कुमार भारती के अलावा प्राय: सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों ने इसका विरोध किया.
डॉ पीयूष ने यूजीसी से मांग की है वह अभिलंब अपने 6 जुलाई के आदेश को वापस ले और कोविड के वर्तमान संक्रमण और दिन प्रतिदिन इसके प्रसार को देखते हुए अभी इस मैडेटरी को वापस ले ताकि सितंबर में सभी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय अनिवार्य रूप से छात्रों की परीक्षा लें. यह छात्रों, शिक्षकों, शैक्षणिक संस्थानों के कर्मियों से जुड़ा हुआ ही मसला नहीं है बल्कि हिंदुस्तान के प्रायः उच्च शिक्षा में पढ़ने वाले करोड़ों छात्रों के जीवन से जुड़ा हुआ मसला है.
उन्होंने कहा कि जब एग्जाम देने के लिए करोड़ों छात्र इकट्ठा होंगे तो कम्युनिटी संक्रमण की संभावना बढ़ जाएगी. इसके अतिरिक्त विभिन्न नगरों, महानगरों के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढ़ने वाले जो छात्र अपने अपने गांव घरों में है उनको पुनः महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में जाकर परीक्षा देने में यातायात संबंधी और वहां आवास की व्यवस्था करने मैं भारी दिक्कत होगी.
ज्ञात हो कि सभी प्राइवेट लॉज एवं विश्वविद्यालयों के छात्रावास खाली कर दिए गए हैं, और जो लॉज और छात्रावास हैं वहां सोशल डिस्टेंस का पालन करना असंभव है क्योंकि वहां क्षमता से अधिक छात्र उसी प्रकार से रहते हैं जैसे जेलों में क्षमता से अधिक कैदी. विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भी सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए परीक्षार्थियों के परीक्षा में बैठाने की समुचित आधारभूत क्षमता का अभाव है.
डॉ पीयूष ने बताया के झारखंड के समस्त विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में प्रोटेस्ट का यह कार्यक्रम पूर्णतया सफल रहा. रांची विश्वविद्यालय में डॉ राजकुमार, डॉ हरिओम पांडे, डॉ एलके कुंदन, डॉ कंजीव लोचन, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में डॉ कौशलेंद्र कुमार, डॉ विपिन कुमार, सिद्धु कान्हू विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय, दुमका में डॉ नवीन कुमार सिंह, डॉ अनमोल बाबा के नेतृत्व में इस कार्यक्रम को सफल बनाया गया.