
शार्प भारत डेस्कः आज हम 21वीं सदी में जी रहे है. जहां अनुवाद हमारे जीवन में महत्वपूर्ण कार्य बन चुका है. अंतर्राष्ट्रीय दिवस उन लोगों के लिए है जो अनुवादक और भाषा क्षेत्र में काम करते है. अनुवाद के जरिये हम किसी भी देश की भाषा को समझ और जान सकते हैं. हमे हर भाषा का ज्ञान हो ये सम्भव नहीं है, इसलिए भाषा को आसानी से समझने के लिए अनुवादक का होना बेहद जरूरी है. (नीचे भी पढ़ें)
इतिहास-
अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस का शुभारंभ 1953 में हुआ था. इस दिन अनुवादकों के संरक्षक संत सेंट जेरोम के पर्व मनाया जाता है. इन्हें बाइबल अनुवादक भी कहा जाता है. दुनिया भर में अनुवाद समुदाय की एकजुटता दिखाने के लिए एफआईटी द्वारा एक अनुमोदित मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस का उद्देश्य साल 1991 में प्रारंभ हुआ था. इंटरनेशनल फेडरेशन आफ ट्रांसलेटर्स (एफआईटी) की स्थापना 1953 में हुई थी. साल 1991 में एफआईटी ने पूरी दुनिया में अनुवाद समुदाय की पहचान को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाने की शुरूआत की थी. आधिकारिक तौर पर अनुवाद दिवस को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मई 2017 में प्रस्ताव 71/288 को पारित करके स्थापित किया था और 30 सिंतबर के दिन को अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. (नीचे भी पढ़ें)
2021 की थीम– प्रत्येक वर्ष अनुवाद दिवस एक थीम के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष 2021 की थीम “अनुवाद और स्वदेशी भाषाएं” है.
अनुवाद का कुछ रोचक तथ्य-
*विश्वभर में सबसे ज्यादा अनुवाद की गयी किताब बाइबल है.
*हिस्ट्री का पहला अनुवाद “द एपिक आफ गिलगमेश” था. द एपिक आफ गिलगमेश मानव प्रयास से सबसे पुराना जीवित साहित्य है. लेखकों ने एक प्राचीन क्यूनिफॉर्म लेखन प्रणाली का उपयोग करते हुए सुमेरियन में लिखा था.