नयी दिल्ली : सरकार ने तीन साल पहले 2017 में जीएसटी की शुरुआत की थी. उसके बाद सरकार ने पहली बार स्वीकार किया है कि राज्य सरकारों को जीएसटी राजस्व के अपने हिस्से का भुगतान करने के लिए उसके पास कोई पैसा नहीं है. केंद्रीय वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने एक संसदीय पैनल को स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्र सरकार राजस्व हिस्सेदारी के फार्मूले के तहत राज्यों के हिस्से का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है. कोरोनो वायरस ब्रेकआउट से पहले अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण जीएसटी संग्रह कम हो गया था. अगस्त 2019 से, जीएसटी संग्रह राज्यों के कारण लगभग आधा रह गया है. श्री पांडेय के इस बयान पर विपक्षी दलों के सदस्य अब सवाल उठा रहे हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, संसदीय समिति की पहली बैठक में विपक्षी सदस्यों ने राज्यों की हिस्सेदारी जारी न करने पर सरकार की आलोचना की. सदस्यों ने बताया कि जीएसटी में कहा गया है कि केंद्र को राज्यों को 14 प्रतिशत राजस्व वृद्धि लक्ष्य तक पहुंचने में कमी के लिए क्षतिपूर्ति करनी चाहिए, जो कि जीएसटी में लगाए गए करों से वित्त वर्ष 2016 के राजस्व के आधार पर आंकी गई है. उन्होंने कहा कि राज्यों ने कोरोनोवायरस और परिणामी प्रवासी संकट के खिलाफ लड़ाई में भारी नुकसान उठाया है. हालांकि सूत्रों ने कहा कि वित्त सचिव ने कहा कि जीएसटी अधिनियम को राज्यों के मुआवजे के फार्मूले को फिर से लागू करने के प्रावधानों के साथ बनाया गया था. इस मुद्दे पर जीएसटी परिषद में चर्चा चल रही है. इस बीच, वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 से संबंधित जीएसटी क्षतिपूर्ति का 13,806 करोड़ रुपये जारी किया है. इस राशि के साथ, 2019-20 तक का पूरा मुआवजा राज्यों को जारी कर दिया गया है.
राजस्व की स्थिति
वर्ष 2019-20 के लिए जारी मुआवजे की कुल राशि 1,65,302 करोड़ रुपये थी, जबकि वर्ष 2019-20 में एकत्रित उप कर की राशि 95,444 करोड़ रुपये थी. केंद्र ने कहा कि 2017-18 और 2018-19 के दौरान एकत्रित शेष राशि का उपयोग 2019-20 के मुआवजे के लिए भी किया गया था. इसके अतिरिक्त, केंद्र ने 2017-18 से संबंधित आईजीएसटी की शेष राशि के लिए एक एक हिस्से के रूप में भारत के समेकित निधि से 33,412 करोड़ रुपये को मुआवजा कोष में स्थानांतरित कर दिया है.