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Jamshedpur chamber vs labour office : श्रम कानूनों को लेकर सिंहभूम चेंबर और श्रम विभाग आमने सामने, दोनों के बीच हुई चर्चा के दौरान कानून के अनुपालन को लेकर विरोध

जमशेदपुर : कोल्हान की सबसे बड़ी औद्योगिक और व्यवसायिक संस्था सिंहभूम चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा सरकार द्वारा लाये गये विभिन्न श्रम कानूनों पर विस्तृत चर्चा हेतु एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें श्रम अधीक्षक अविनाश ठाकुर ने प्रकाश डाला और व्यवसायी उद्यमी की जिज्ञासाओं और समस्याओं के सवालों का जवाब दिया. इस अवसर पर अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने उपस्थित अतिथि एवं सदस्यों का स्वागत कर विषय प्रवेश करते हुए कहा कि इस परिचर्चा का उद्देश्य श्रमिकों के हित के साथ-साथ सरकार द्वारा लागू किये गये श्रम कानूनों से व्यवसायी उद्यमी को होनेवाली समस्याओं का निराकरण करना है क्योंकि व्यवसायी उद्यमी जो राज्य और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में हमेशा आगे रहते हैं. अगर इन कानूनों का पालन नहीं करेगी तो उनके लिये सजा का भी प्रावधान है. चेम्बर का उद्देश्य है व्यापारी उद्यमी की समस्याओं का निराकरण करना और उन्हें इन मुश्किलों से बचाना. सरकार कानून बनाती है और उसे लागू और पालन करवाने की जिम्मेदारी श्रम विभाग के पास होता है. (नीचे भी पढ़ें)

श्रम विभाग वह कड़ी है जो सरकार के द्वारा बनाये कानून को व्यवसायी उद्यमी के द्वारा लागू करवाता है और व्यवसायी उद्यमी को इससे होने वाली समस्याओं को भी सरकार तक पहुंचाता है. बहुत सारे ऐसे कानून होते हैं तो व्यवसायी उद्यमी को पता नहीं होता इसे श्रम विभाग उपलब्ध कराता है. कभी-कभी सरकार द्वारा ऐसा कानून भी बना दिया जाता है जिसे लागू करना व्यवसायी उद्यमी के लिये मुश्किल भरा काम होता है. ऐसा ही एक कानून है झारखण्ड सरकार द्वारा लाया गया और उसे लागू कर दिया गया जिसमें स्थानीय श्रमिकों की 75 प्रतिशत संख्या प्रतिष्ठानों में लागू करना है. व्यवसायी उद्यमी तो चाहते ही हैं कि ज्यादा से ज्यादा वह स्थानीय श्रमिकों को अपने प्रतिष्ठान में बहाल करे क्योंकि बाहर से मजदूर लाना खर्चीला भी होता है, लेकिन इस कानून के पालन में अनुभवी मजदूरों की उपलब्धता रूकावट बन रही है. सरकार को चाहिए कि वे मजदूरों में स्किल डेवलप करे तभी वे अच्छे परिणाम औद्योगिक प्रतिष्ठानों में दे सकेंगे और उद्योग आगे बढ़ेगा तो राज्य की विकास की ओर अग्रसर होगा. व्यवसायी उद्यमी 75 नहीं 90 प्रतिशत स्थानीय मजदूर रखने को तैयार है. लेकिन सरकार इसके लिये औद्योगिक प्रतिष्ठानों में आवश्कतानुसार अनुभवी मजदूर उपलब्ध कराये इसके लिये मजदूर तैयार करे. चेंबर इस कानून का तबतक विरोध करेगा जबतक सरकार ऐसा नहीं करती है. चेंबर का मानना है कि कानून ऐसा बने जिसका व्यवसायी उद्यमी अनुपालन कर सके. इस अवसर पर श्रम अधीक्षक अविनाश ठाकुर ने सरकार द्वारा लाये गये विभिन्न श्रम कानूनों के संबंध में उपस्थित व्यवसायी उद्यमियों को विस्तृत रूप में अवगत कराया. उन्होंने कहा कि सरकार कानून बनाती है हम इसके प्रवर्तन के लिये उत्तरदायी हैं. विभाग द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि श्रम अधिकारी वन टू वन उद्यमी व्यवसायियों से बात उनकी समस्याओं को समझे. श्रम कानून के उल्लंघन पर पहले सजा तय नहीं करना है बल्कि समझाया जाना चाहिए. हम आपसे आंकड़ा इकट्ठा कर सरकार को उपलब्ध कराते हैं और उसी के आधार पर कानून बनाती है. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है यहां के प्रतिष्ठान 90 से 95 प्रतिशत तक कानून का पालन कर रहे हैं. चार-पांच श्रम कानून है जो प्रमुख हैं जिसे उद्यमियों को शत-प्रतिशत पूरा करना चाहिए अन्यथा इसमें सजा का भी प्रावधान है. इसमे मिनिमम वेज एक्ट जो सभी को पता है और प्रतिष्ठान इसका पालन भी करते हैं. श्रम विभाग के हित चाईल्ड लेवर एक्ट है जिसमें 14 वर्ष तक के बच्चों को प्रतिष्ठानों में काम नहीं कराना है. 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों को भी कार्य करने के लिये विभिन्न नियमों को ध्यान रखना चाहिए और ऐसे श्रमिक के लिये विभाग को अवगत कराना आवश्यक है. इस कानून के अंतर्गत भी श्रमिकों के लिये घंटे तय हैं. अगर इस कानून का उल्लंघन होता है तो 50 हजार से 2 लाख तक का जुर्माना संभव है. श्रम कानून के अंतर्गत पेमेन्ट वेजेज एक्ट भी आता है जिसके तहत अगर किसी प्रतिष्ठान में एक हजार से कम श्रमिक हैं तो प्रत्येक महीने के 7 तारीख से पहले मजदूरी का भुगतान करना आवश्यक है और यदि एक हजार से अधिक श्रमिक हैं तो 7 से 10 तारीख तक मजदूरी का भुगतान आवश्यक है. इसमें बोनस एक्ट भी है जिसके तहत अगर प्रतिष्ठान फैक्ट्री एक्ट में निबंधित है तो 20 से अधिक श्रमिक होने पर बोनस आवश्यक हो जाता है. एक्स ग्रेसिया का प्रावधान 21 हजार तक पाने वाले श्रमिकों को भुगतान करना है. इसी तरह पेमेन्ट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट, इत्यादि के बारे में भी विस्तृत रूप में बताया. उन्होंने कहा इन कानूनों के अंतर्गत प्रतिष्ठानों को श्रम विभाग को जानकारी विभिन्न फॉर्म भरकर जानकारी उपलब्ध करानी होती है. (नीचे भी पढ़ें)

इस अवसर पर उपलब्ध नियोजन पदाधिकारी अजय कुमार ने कहा कि सभी औद्योगिक प्रतिष्ठान झारखण्ड सरकार के श्रम नियोजन पोर्टल पर जाकर श्रमिकों की विस्तृत सूची प्रेषित कर दे. अगर श्रमिकों का स्थानीय प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है तो भी जानकारी की उपलब्धता नहीं के रिमार्क के साथ पोर्टल पर सूचित करें. सरकार चाहती है कि वर्ष 2025 तक स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध हो. कार्यक्रम में उपस्थित व्यवसायी उद्यमियों ने उपस्थित श्रम विभाग के अधिकारियों से श्रम एवं नियोजन विभाग से संबंधित अपने जिज्ञासाओं और समस्याओं से संबंधित सवाल किये जिसका श्रम अधिकारियों ने जवाब दिया. कार्यक्रम के समापन पर सचिव, उद्योग विनोद शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर अध्यक्ष विजय आनंद मूनका, उपाध्यक्ष पुनीत कांवटिया, अनिल मोदी, सचिव विनोद शर्मा, कोषाध्यक्ष सीए अनिल कुमार रिंगसिया, उमेश खीरवाल, सौरव संघी सन्नी, संजय शर्मा, दीपक कुमार सिंह, विश्वनाथ राय, आनंद अग्रवाल, धीरज दुबे, प्रभुदयाल शर्मा, शिवांश साहू, निशांत अडेसरा, चंदन कुमार झा, बिनोद कुमार सावा, दिव्यांशु सिन्हा, अशोक गुप्ता, बरूण शर्मा, डीएस दुबे, सुनील कुमार, संजीव सिंह, रिषभ चेतानी, अभिषेक चोपड़ा, नवलेश कुमार के अलावा काफी संख्या में व्यवसायी एवं उद्यमीगण उपस्थित थे.

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