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tata-steel-initiative-टाटा स्टील फाउंडेशन ने एक्सएलआरआई छात्रों के लिए रूरल इमर्शन मॉड्यूल को किया लांच, एसी में पलने और पढ़ने वाले प्रबंधकों को बताये जायेंगे गांव और जरूरतमंदों के रहस्य

जमशेदपुर : टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) ने सोमवार को जमशेदपुर में विख्यात प्रबंधन संस्थान एक्सएलआरआई के छात्रों के लिए रूरल इमर्शन मॉड्यूल की शुरुआत की. मॉड्यूल से भविष्य के प्रबंधकों और कर्मचारियों में ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ को चैनलाइज़ करने की उम्मीद है, जो अंततः उन्हें ‘परिवर्तनकारी नेतृत्व’ को आत्मसात करने में मदद करेगा. पूरी प्रक्रिया में ओरिएंटेशन, ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा, समूहों के बीच डीब्रीफिंग और प्रस्तुति शामिल है. कार्यक्रम के परिचयात्मक सत्र के दौरान प्रोफेसर रघुराम टाटा, एक्सएलआरआई, सौरव रॉय, सीईओ, टीएसएफ और जिरेन टोपनो, हेड, ट्राइबल सर्विसेज, टीएसएफ आदि सहित अन्य लोग उपस्थित थे. रूरल इमर्सन मॉड्यूल एक्सएलआरआई जमशेदपुर के सभी पूर्णकालिक, आवासीय कार्यक्रमों (बीएम, एचआरएम, एफपीएम और एक्स-पीजीडीएम) का एक अनूठा कार्यक्रम है. इसे छात्रों को ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों के जीवन को करीब से समझने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें कई आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों की समझ शामिल है, जिसका लोगों को सामना करना पड़ता है, ज्यादातर वंचित सामाजिक तबके के लोगों को. मॉड्यूल आगे चलकर छात्रों को इस बात पर विचार करने में मदद करेगा कि आधुनिक तकनीक, मैनेजमेंट कॉन्सेप्ट्स और पॉलिसी इंस्ट्रूमेंट्स जैसे उपयुक्त हस्तक्षेप कैसे वंचित तबके के लोगों के सामाजिक स्तर के समग्र विकास में सुधार कर सकते हैं. (नीचे देखे पूरी खबर)

रूरल इमर्शन मॉड्यूल सभी के कल्याण और सस्टेनेबल भविष्य के लिए जिम्मेदार वैश्विक लीडर्स तैयार करने के लिए एक्सएलआरआई के विज़न, और पर्यावरण और समाज के प्रति संवेदनशील उत्तरदायी नैतिक लीडर्स को पोषित करने के एक्सएलआरआई के मिशन के अनुरूप है. इमर्शन मॉड्यूल का उद्देश्य मुख्य रूप से छात्रों को समाज में मौजूद बहुआयामी असमानताओं को समझने और उन्हें प्रासंगिक यूनाइटेड नेशंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) और प्रासंगिक सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को समझने का अवसर प्रदान करना है. मैनेजमेंट छात्रों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं सहित अन्य सामाजिक कारकों के बारे में सीखने का अवसर मिलेगा जैसे कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प, गैर इमारती वन उत्पादों पर निर्भरता, लैंगिक मुद्दों, माइक्रो फिनांस, ग्रामीण पर्यटन आदि.

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