जमशेदपुर : टाटा स्टील ओड़िशा में अधिग्रहित प्लांट नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड के उत्पादन को शुरू करने के लिए टाटा स्टील की पूरी टीम काम कर रही है. करीब 500 करोड़ रुपये से इसकी शुरुआत होने वाली है. नीलांचल इस्पात निगम को 1.50 मिलियन टन प्लांट को अभी शुरू किया जा रहा है, जिसको विस्तार करते हुए करीब एक हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है. 4 जुलाई को अधिग्रहित इस प्लांट को चालू करने के लिए टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन की ओर से पहले से ही दिशा-निर्देश दे दिया गया है. टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि जल्द ही नीलांचल इस्पात में बेहतर प्रोडक्शन करने के लिए कदम उठाये जा रहे है. जल्द ही इसमें प्रोडक्शन शुरू कर दिया जायेगा. टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि हम तीन माह में ब्लास्ट फर्नेस और बाद के माह में अन्य सुविधाएं शुरू करने की कोशिशें शुरू कर दी गयी है. सबसे बड़ी समस्या कोक ओवेन में है, जिसे बिना पूर्व सावधानी बरते बंद नहीं करना चाहिए. दुर्भाग्य से, यह दो साल पहले बंद किया गया था, इस कारण इसको फिर से शुरू करने में कम से कम छह माह का समय लगेगा. नीलांचल इस्पात से जुड़ी खदानें पहले से ही चालू है और कच्चा माल संयंत्र में जाने लगा है. एमडी ने बताया कि टाटा स्टील अक्टूबर तक नीलांचन से कच्चा लोहा बेचने और मार्च तक प्रतिमाह तक एक लाख टन स्टील का उत्पादन शुरू कर देने का लक्ष्य निर्धारित की है. श्री नरेंद्रन ने कहा कि टाटा स्टील को नीलांचल को पुर्नजीठवित करने के लिए करीब 1000 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी और पहले साल में लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी. आपको बता दें कि टाटा स्टील ने एमएमटीसी, एनएमडीसी, भेल, मेकॉन और दो ओड़िशा पीएसयू ओएमसी और आइपीकोल से 12100 रोड़ रुपये में ओड़िशा के कलिंगानगर में नीलांचल इस्पात का अधिग्रहण किया था. इसका कलिंगानगर ओड़िशा में 1.1 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता वाली एक एकीकृत इस्पात संयंत्र हैं. कंपनी भारी घाटे में चल रही थी और इस प्लांट को 30 मार्च 2020 को बंद कर दिया गया था. अधिग्रहण और विस्तार पर खर्च के बावजूद टाटा स्टील को अपने शुद्ध लोन को भी कम करने की कोशिश हो रही है. विकास पूंजी पर खर्च करते हुए भी टाटा स्टील चाहती है कि अपने कर्ज में कमी लाये.