जमशेदपुर : टाटा स्टील के वेज रिवीजन समझौता को लेकर वार्ता का दौर जारी है. शुक्रवार को सुबह की बैठक के बाद शाम को भी महत्वपूर्ण बैठक हुई. वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी के स्तर पर यह बैठक हुई, जिसमें कई मुद्दों पर बातचीत की गयी. इसके तहत महंगाई भत्ता (डीए) में बदलाव को लेकर लगभग सहमति बन गयी है. बताया जाता है कि देर शाम तक हुई बैठक में तय हो चुका है कि कर्मचारियों का डीए एक निश्चित राशि तक जाकर फ्रीज हो जायेगा यानी जो डीए अंतिम स्लैब में मिलता था, वहां तक ही मिलता रहेगा. जैसे उदाहरण के स्वरुप ग्रेड आर-1 का वेतन का स्लैब 1000 रुपये से लेकर 3000 रुपये है और तीन फीसदी का सालाना इंक्रीमेंट है तो अगर तीन हजार रुपये तक कोई कर्मचारी पहुंच जाता है तो उस पर डीए मिलता रहेगा. तीन हजार रुपये के वेतन पर अंतिम बार जो डीए मिलेगा, उसी डीए को फ्रीज कर दिया जायेगा यानी अगर कोई कर्मचारी का उसी ग्रेड में रहते हुए 4000 रुपये वेतन भी हो जाता है तो डीए 3000 रुपये पर ही मिलता रहेगा. (नोट : सारे आंकड़े कंपनी के ग्रेड के अनुसार नहीं है, उदाहरण के स्वरुप है). अगर ऐसा हुआ तो फिर डीए पर डीए देने की स्थिति नहीं होगी और वेतन में बढ़ोत्तरी संभव नहीं हो सकेगा. ऐसा ही कुछ फार्मूला पर समझौता टाटा स्टील कोलियरी में हुआ है. वैसे आपको बता दें कि मैनेजमेंट ने डीए को लेकर यूनियन के पास तीन प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत पहले विकल्प के तहत कर्मचारियों का बेसिक के साथ डीए का समायोजन नहीं रहेगा. बेसिक और डीए को अलग करने के बाद बेसिक पर ही मिनिमम गारंटीड बेनीफिट (एमजीबी) मिला करेगा. अगर यूनियन पहले विकल्प को नहीं मानती है तो वेतन की राशि के आधार पर सीलिंग लगाने का प्रस्ताव है. इसके तहत अगर किसी कर्मचारी का 50 हजार रुपये का बेसिक है तो उसको सौ फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) मिलेगा जबकि अगर उनका बेसिक एक लाख रुपये तक हो चुका है तो उनको डीए सिर्फ 50 फीसदी ही मिलेगा. वैसे टाटा स्टील ने कोलियरी में लागू की गयी योजना का भी हवाला देते हुए, उस फार्मूला को भी मानने के लिए यूनियन के पास प्रस्ताव दिया है. इसके तहत कोलियरी में जिस तरह 52 हजार रुपये पर डीए फ्रीज हो जाया करेगा जबकि एक सीलिंग लागू कर दी जाये कि इतनी राशि तक ही डीए मिलेगा, भले ही प्वाइंट के हिसाब से जितना भी डीए कर्मचारियों को मिलता हो. डीए के बढ़ने को रोकने के लिए अंतत: यह फैसला लिया गया है.