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jamshedpur-corona-जमशेदपुर और सरायकेला-खरसावां में कोरोना को मात देने के लिए पूजा अर्चना, कोरोना को मात देने की हुई कोशिशें-video

जमशेदपुर : क्या कोरोना को लेकर लोगों का भरोसा सरकारी सिस्टम और सरकार से उठ गया है… क्या कोरोना कोई दैविक प्रकोप है… आखिर कोरोनो को लेकर झारखंड के जमशेदपुर और सरायकेला के लोगों में कैसी मान्यता है.. इन सब बातों को जानने हम सबसे पहले पहुंचे सरायकेला- खरसावां जिले के आदित्यपुर बाबा कुटी के समीप से होकर गुजरनेवाली खरकई नदी के किनारे. जहां हमने जो देखा वह वाकई हैरान करनेवाली थी. यहां दर्जनों महिलाएं, नदी के तट पर पूजा करती नजर आयीं. जहां महिलाएं मिट्टी खोदकर गड्डे में कुछ गाड़ती दिखी. पान- फूल, मिठाई और धूप के साथ विधि- विधान से पूजा करती इन महिलाओं से जब हमने पूछा कि वे क्या कर रहीं है. तो जवाब भी हैरान करनेवाला रहा.

महिलाओं ने कहा गंगा मैया से मिन्नत कर रहे हैं, कि कोरोना का प्रकोप कम हो सके. कुछ महिलाओं ने तो यहां तक कह डाला कि इस दैविक प्रकोप से निजात दिलाने के लिए वे यहां पूजा- पाठ कर रहीं है. चलिए अब आपको पड़ोसी जिला जमशेदपुर लिए चलते है. यहां भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला. जहां जेम्को महानंद बस्ती की दो दर्जन से भी अधिक महिलाएं पूरे विधि- विधान से कोरोना माता की अराधना करती नजर आयीं. वहीं दोनों ही जगहों पर सोषल डिस्टेंसिंग का पालन करतीं और मास्क पहनी बहुत कम ही महिलाएं नजर आयीं.

वैसे अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कोहराम से कराह रही है. भारत में कोरोना के कहर से करीब 6 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं, विज्ञान और तकनीक इसके रोकथाम में अबतक नाकाम साबित हो रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच लौहनगरी जमशेदपुर और उद्योगनगरी सरायकेला की महिलाओं ने अब इसे दैविक प्रकोप मान लिया है, और अब ये अपने तरीके से कोरोना से निपटने में जुट गयीं है. बहरहाल अब आगे ये देखना है, कि दोनों जिलों में कोरोना के संक्रमितों की संख्या में कितना इजाफा होता है, होता भी है, या नहीं वैसे पिछले एक पखवाड़े में जमशेदपुर औऱ सरायकेला जिले से पॉजेटिव मरीजों की रिकार्ड संख्य़ा दर्ज की गई है.

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