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jamshedpur-hospital-neglegency-आदित्यपुर के मेडिट्रिना अस्पताल की लापरवाही से गयी छायानगर के एक व्यक्ति की जान, खून की कमी थी, कर दिया डायलिसिस, अब हो गयी मौत, डेथ सर्टिफिकतेट देने से किया इनकार, शव को अस्पताल में नहीं मिला एक अदद कफन

छायानगर निवासी मनोज कुमार सिंह, जिनकी मौत अस्पताल की लापरवाही के कारण हो गयी.

मशेदपुर : जमशेदपुर और आसपास कुकुरमुत्ते की तरह फैल चुके नर्सिंग होम और तथाकथित अस्पतालों में लगातार लापरवाही से जानें जा रही है. इस कड़ी में सरायकेला-खरसावां जिले के अंतर्गत आने वाले आदित्यपुर स्थित मेडिट्रिना अस्पताल में ऐसा ही एक लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. जमशेदपुर के भुइयांडीह स्थित छायानगर के रहने वाले एक व्यक्ति मनोज कुमार सिंह की जान अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही के कारण चली गयी है. यह आरोप लगाते हुए परिजनों ने मांग की है कि इसके दोषी चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों पर तत्काल कार्रवाई की जाये. परिजनों के मुताबिक, स्वर्गीय मनोज कुमार सिंह विगत एक वर्ष से आदित्यपुर स्थित मेडिट्रिना अस्पताल में इलाजरत थे. उनका डायलिसिस डॉ सुजीत कुमार की देख-रेख में मेडिट्रिना अस्पताल में ही चलता रहता था. 26 अगस्त को भी स्वर्गीय मनोज सिंह ने अस्पताल में डायलिसिस करवाया था.

डायलिसिस कराने के पहले उन्होंने डॉ सुजीत कुमार से चेकअप भी करवाया था. डॉ सुजीत ने उनके परिजनों को कहा कि उनको ब्लड की कमी है, परंतु अभी आप ब्लड लाने जाइएगा तो डायलिसिस में देरी होगी. पहले आप डायलिसिस करवा लीजिए और अगले दिन आप ब्लड लाकर दीजिएगा तो वे चढ़ा देंगे क्योंकि डायलिसिस कराने के पहले ही ब्लड चढ़ाया जाता है, डायलिसिस के बाद नहीं. उनके परिजनों का कहना है कि जब डॉ सुजीत को पता था की ब्लड पहले चढ़ाना है तो फिर उचित समय पर ब्लड क्यों नहीं चढ़ाया गया ? बिना ब्लड चढ़ाए ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी, जिससे उनके घर आने के बाद तबीयत लगातार बिगड़ती चली गयी और अंततः उसी दिन दोबारा अस्पताल ले जाने के क्रम में रात्रि 10:30 बजे उनकी मृत्यु हो गयी. इसके बाद जब अस्पताल से उनके डेथ सर्टिफिकेट की मांग की गयी तो वे रास्ते में मृत्यु होने का बहाना बनाकर डेथ सर्टिफिकेट देने में आनाकानी करने लगे जबकि उनका इलाज विगत 1 वर्ष से डॉ सुजीत की देख-रेख में मेडिट्रिना अस्पताल में चलता था. इन्हें अस्पताल प्रबंधन द्वारा व डॉ सुजीत द्वारा डेथ सर्टिफिकेट नहीं दिया गया. साथ ही जब उनके परिजनों ने शव वापस ले जाने के लिए कफ़न की मांग की तो उन्हें वह भी नहीं मुहैया कराया गया. जबकि वे भुगतान के लिए तैयार थे. मेडिट्रिना अस्पताल के इस रवैये से पहले तो मरीज की जान गयी, फिर परिजनों को दाह संस्कार करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

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