रांची/जमशेदपुर : झारखंड में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आयी है. इसमें बहरागोड़ा के पूर्व विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी तक के नाम जोड़ दिये गये है कि वे भी इसके लाभुक है और उनके नाम पर पैसे निकलवा दिये जा रहे है. आपको बता दें कि झारखंड में इस योजना के लाभुक की संख्या 30 लाख 74 हजार 594 किसान आते है, लेकिन इसमें से करीब 15 लाख 46 हजार 492 किसानों को ही इसका लाभ मिल पा रहा है. इसमें से 18 हजार 336 लोग फर्जी किसान है, जिसकी पहचान कर ली गयी है. ये वैसे लोग है, जो इस योजना का 13 करोड़ 445 रुपये डकार चुके है. हैरानी की बात तो यह है कि इसका लाभ लेने वालों की सूची में पूर्व विधायक, व्यवसायी और सरकारी कर्मचारी तक शामिल है. केंद्र सरकार ने छोटे किसानों को राहत देने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत किसानों को साल में 6 हजार रुपये दिये जाते है. योजना के तहत प्रत्येक चार माह में किसानों को दो दो हजार रुपये दिये जाते है. पांच एकड़ की जमीन वालों को ही इसका लाभ देना था. आइटीआर जमा करने वालों को इसका लाभ नहीं देने का नियम है. पेंशन पाने वारलों को भी इसका लाभ नहीं मिलना है जबकि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग इसको हासिल नहीं कर सकते है. लेकिन जब सूची निकली तो सबके होश उड़ गये. कई लोगों के नाम सामने आये है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि 56 नंबर पर कुणाल षाड़ंगी का नाम शामिल है, जिनके केसीसी एकाउंट में दो साल से लेनदेन बंद है, लेकिन उसमें पैसे डाल दिये जा रहे है. यहीं नहीं, कुणाल षाड़ंगी के पिता दिनेश कुमार षाड़ंगी के छोटे भाई द्विजेन षाड़ंगी के बैंक अकाउंट में भी दो किस्त में 4 हजार रुपये भेजे गए हैं. उनको पैसे वापस करने के लिए कहा गया है. इस बारे में द्विजेन षाड़ंगी का कहना है कि उन्होने काफी दिनों से अपना बैंक खाता चेक नहीं किया. किसी तरह का आवेदन नहीं किया. बैंक खाते चेक करने पर ही बता पाएंगे कि उनके खाते में पैसे आए हैं या नहीं. सूची में कुणाल षाड़ंगी 56वें नंबर के लाभुक हैं जबकि उनके चाचा द्विजेन षाड़ंगी का सीरियल नंबर 129 है. पड़ताल में बोकारो के आदिवासी बहुल गांव डुमरडीह की भी कहानी सामने आई है. इस गांव में कुल 150 परिवार रहते हैं जिनकी कुल आबादी 900 है. पूरे गांव के पास कुल 30 एकड़ जमीन है. गांव के विष्णु मांझी, गुनाराम मांझी, धनीराम मांझी, रतिलाल मांझी, गांगू महली, भरत महली और मंगरू महली कहते हैं कि उनको इस योजना की जानकारी नहीं है. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि योजना में किसानों को पैसे मिलते हैं. गांव में किसी भी व्यक्ति को पैसा नहीं मिला. किसी ऑफिसर या पंचायत प्रतिनिधि ने भी उनको इस योजना की जानकारी नहीं दी. उनको सही वक्त पर जानकारी ही नहीं मिलती.
कृषि सचिव ने कहा कि राशि की रिकवरी है प्राथमिकता
पूरे मामलें में कृषि विभाग की तरफ से जिले के उपायुक्तों को कार्रवाई का कोई निर्देश नहीं दिया गया है. कृषि सचिव अबु बकर सिद्दिकी ने कहा कि राशि रिकवरी उनकी प्राथमिकता है. बाद में कार्रवाई भी की जाएगी. सबसे पहले इस गड़बड़ी की पहचान करने वाले धनबाद का तात्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने कहा कि सूची सत्यापित करने वाले ही इसके जिम्मेदार माने जाएंगे. योग्य किसानों की पहचान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. किसानों के खाते में डीबीटी से पैसे तभी भेजे जाते हैं जब सरकार सूची सत्यापित करती है. मामले की जांच भी होगी और कार्रवाई भी की जाएगी लेकिन ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन्हें इस योजना का लाभ मिलना है वो इससे अनभिज्ञ और वंचित हैं. वैसे लोगों को आसानी से योजना का लाभ मिल गया जो योग्य नहीं हैं.