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टाटा कमिंस में ग्रेड डिवीजन खटाई में, पहले होगा बोनस, तीन साल का बनेगा फार्मूला

जमशेदपुर : टाटा मोटर्स के लिए इंजिन बनाने वाली कंपनी टाटा कमिंस में ग्रेड रिवीजन खटाई में पड़ गयी है. कर्मचारी पुत्रों को नौकरी देने की मांग को लेकर यूनियन मैनेजमेंट के सामने अड़ गयी है. इस कारण ग्रेड रिवीजन को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. अब तय किया गया है कि पहले बोनस समझौता होगा, उसके बाद ग्रेड रिवीजन को लेकर आगे की कोई वार्ता होगी. वैसे ग्रेड रिवीजन पहले हो जाता और फिर बोनस समझौता होता तो शायद कर्मचारियों को ज्यादा लाभ मिलता क्योंकि कर्मचारियों के वेतन के आधार पर प्रतिशत तय होता है. ग्रेड रिवीजन को लेकर प्रबंधन और यूनियन की ओर से लगातार वार्ता की गयी थी, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया. कर्मचारियों के बच्चों को नौकरी दिलाना यूनियन की प्राथमिकता सूची में है, जिस कारण यूनियन इस मुद्दे पर मैनेजेंट के साथ किसी तरह का कोई समझौता करने को तैयार नहीं है. फिर तय कर दिया गया है कि अब टाटा कमिंस के मुख्यालय के अधिकारियों के हस्तक्षेप के बिना इस मुद्दे का हल या फैसला नहीं निकल सकता है. यूनियन की दलील है कि टाटा मोटर्स के कर्मचारी होते हुए वर्तमान कर्मचारियों का निबंधन की सुविधा बहाली हुई थी और उनको काम करने का मौका मिला. ऐसे में यहां के भी कर्मचारी पुत्रों और पुत्रियों का निबंधन करने की शुरुआत की जाये ताकि कर्मचारियों के बच्चे अपने परिवार के साथ रहकर यहीं नौकरी कर सके.
बोनस की वार्ता में अब मैट्रिक्स बनाने पर रहेगा फोकस
टाटा कमिंस के कर्मचारियों के बोनस समझौता को लेकर एक राउंड की वार्ता मंगलवार को हो गयी थी. इसके तहत यूनियन ने 20 फीसदी की मांग की थी, लेकिन अब यह तय किया गया है कि तीन साल के फार्मूला को एक साथ बना दिया जायेगा, ताकि हर साल बोनस समझौता में देर नहीं हो और एक फार्मूला के आधार पर कर्मचारियों को बोनस मिलता रहे. इस मुद्दे पर अब अगली बैठक में बातचीत होना संभव है. इसके लिए मैट्रिक्स यानी अंक गणित को सुलझाया जायेगा. इसके तहत मैट्रिक्स में बीआइएस यानी गुणवत्ता के नंबर को कम करने पर जोर रहेगा. अब तक यहां 20 नंबरों में 10 नंबर उत्पादन, 7 नम्बर लाभ तथा तीन नंबर बीआइएस पर था. यूनियन का कहना है कि चूंकि, कंपनी में स्थायी कर्मचारियों के साथ-साथ कई प्रकार के प्रशिक्षु भी कार्य कर रहे हैं, जिसके चलते इंजिन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंच रहा है. आखिरकार इसका खामियाजा बोनस भुगतान या राशि पर ही पड़ रहा है. इस कारण गुणवत्तायुक्त बीआइएस नंबर को आधार को कम करने पर यूनियन का फोकस रहेगा.

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