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एमेजॉन और फ्लिपकार्ट को राजस्थान हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने झारखंड में ऑनलाइन बिजनेस पर लगाम लगाने की उठायी आवाज

जमशेदपुर : ऑनलाइन बिजनेस ने धरातल पर उतरकर लोगों को रोजगार देने वाले कारोबार को प्रभावित कर दिया है. इसके अलावा कई सारे नियमों का उल्लंघन भी इस तरह की कंपनियां कर रही है. यह साबित हुआ राजस्थान हाईकोर्ट में. कंन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा दायर एक याचिका पर, राजस्थान उच्च न्यायालय (राजस्थान हाईकोर्ट) की जोधपुर पीठ ने मंगलवार को सरकार की एफडीआइ नीति के उल्लंघन के लिए एमेजॉन और फ्लिपकार्ट को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने भारत सरकार को नोटिस जारी किया है. सुनवाई की अगली तारीख 15 अक्टूबर है, जिसके द्वारा सभी पक्षों को नोटिस का जवाब प्रस्तुत करना होगा. जस्टिस दिनेश मेहता ने मामले की सुनवाई की. कैट की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र सारस्वत और अबीर रॉय कोर्ट में पेश हुए. कैट ने अपनी रिट याचिका में एमेजॉन और फ्लिपकार्ट द्वारा एफडीआइ नीति के निरंतर और बार-बार उल्लंघनों पर ज़ोर डाला और कोर्ट को बताया कि इन दोनों कंपनियों रा एफडीआइ नीति का उल्लंघन किया जा रहा है. कैट ने याचिका में कहा कि चूंकि, ये कम्पनियां ज्यादा छूट, लागत से भी कम मूल्य पर माल देना और हानि फंडिंग में संलग्न हैं और इन्वेंट्री को नियंत्रित कर रहे हैं, जिससे उनका मार्केट प्लेस इन्वेंट्री आधारित मॉडल के रूप में स्थापित हो रहा है, जो एफडीआइ नीति का स्पष्ट उल्लंघन है. कैट ने यह भी कहा कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां गहरी छूट दे रही हैं जो एक तरह से बाज़ार में कीमतों को प्रभावित कर रही हैं, जो एफडीआइ की नीति के तहत फिर से रोक हैं. कैट ने यह मुद्दा भी उठाया कि चूंकि ये ई-कॉमर्स कंपनियां इन्वेंट्री के मालिक नहीं हैं, इसलिए वे अन्य व्यक्तियों के स्वामित्व वाले सामान पर छूट की पेशकश कैसे कर सकते हैं. कैट ने आगे कहा कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां एफडीआइ नीति को बहुत खुले तौर पर दरकिनार कर रही हैं और अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. नीति के उल्लंघन में ये ई-कॉमर्स कंपनियां बाज़ार में एक असमान प्रतिस्पर्धा के वातावरण का निर्माण कर रही हैं जो ग़ैर वाजिब है. एफडीआइ नीति के तहत जो कुछ भी निर्धारित किया गया है, ये ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी ठीक उसके उलट अपनी व्यावसायिक गतिविधियाँ चला रही हैं. दूसरी ओर, कैट के राष्ट्रीय सचिव और सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष सुरेश सोंथालिया ने कहा है कि झारखंड सरकार को भी इस तरह की ऑनलाइन कंपनियों को नियंत्रित करने की जरूरत है. पहले से मंदी की मार झेल रहे कारोबारियों को बचाने के लिए झारखंड सरकार को दूसरे राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर इस तरह की कंपनियों पर लगाम लगाना चाहिए ताकि त्योहारी मौसम में लोगों को नुकसान नहीं पहुंचा सके.

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