जमशेदपुर : मोतियाबिंद अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक होने के कारण भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है. गरीबी के साथ मोतियाबिंद, समस्या का एक और आयाम सामने लाता है. टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) कोल्हान क्षेत्र के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में विभिन्न मुद्दों पर काम कर रहा है. ऐसा ही एक मुद्दा जिस पर तत्काल कार्रवाई जरूरी है, वह है इसके कारण दृष्टिहीन हो चुके वृद्ध रोगियों का उपचार. बुढ़ापा अपने आप में एक ऐसा चरण है जहां व्यक्ति विभिन्न बीमारियों का शिकार हो जाता है. सामाजिक और पारिवारिक वृद्धों को परिवार के लोग भी बोझ ही समझते हैं. उस पर मोतियाबिंद एक और बोझ जोड़ देता है जिस पर तत्काल ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि लंबे समय तक इलाज नहीं कराने से मोतियाबिंद धीरे-धीरे अंधेपन का कारण भी बन सकता है. टीएसएफ पूर्वी सिंहभूम के उन गरीब एवं दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंच कर बुजुर्ग आबादी की जरूरतें पूरी कर रहा है जो दृष्टि खोने के दहलीज पर हैं. टीएसएफ ने वर्ष 2023 में पूर्वी सिंहभूम के सबसे गरीब प्रखंडों में से एक डुमरिया प्रखंड को मोतियाबिंद मुक्त करने के उद्देश्य से काम करना शुरू किया है. डुमरिया की जनसंख्या 62,128 में 0.6 फीसदी लोगों को मोतियाबिंद है. इसके अनुसार प्रखंड को मोतियाबिंद मुक्त बनाने के लिए प्रखंड के करीब 370 रोगियों का ऑपरेशन करायेगा. इसके तहत विगत दिसंबर में 250 से अधिक लोगों का ऑपरेशन कराया जा चुका है. इसके लिए टीएसएफ डुमरिया के विभिन्न स्थानों में शिविर का आयोजन करता है. इसके लिए फाउंडेशन की टीम पंचायतों में कैंप लगाता है, जहां लोगों की नेत्र जांच कर मोतियाबिंद के मरीजों को चिह्नित किया जाता है. चयनित मरीजों को जमशेदपुर आइ कैंप लाकर उनका आइ हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराया जाता है. ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में चमक टीएसएफ कर्मचारियों के लिए यादगार अनुभव होता है. ऑपरेशन के पश्चात करीब दस दिन बाद उन्हें जांच के लिए फिर से आइ पॉस्पिटल लाया जाता है. ऑपरेशन कराये मरीज अपने गांव लौट कर अपने समुदायों में दूसरों के साथ अपने अनुभव साझा करते हैं और इस तरह अधिकतम जरूरतमंद रोगियों के लिए भी चिकित्सा के दरवाजे खुलते हैं.