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टूटी नफरत की दीवार, जमशेदपुर के मुसलमानों ने पेश की मिसाल, हिंदू की हत्या के शोक में बर्मामाइंस के मुसलमान नहीं निकालेंगे मुहर्रम जुलूस

बर्मामाइंस में मुसलिम समुदाय के लोग मीटिंग के बाद.

जमशेदपुर : नफरत, आपसी रंजिश और खून-खराब तक हिंदू और मुसलिम समाज को हमेशा से जाना जाता है और उनको तोड़ने की राजनीति राजनीतिक दलों के लोग करते आये है. लेकिन जमशेदपुर के मुसलमानों ने एक अनूठा और अनुकरणीय मिसाल पेश करने में सफलता पायी है. नफरत के इस माहौल के बीच जमशेदपुर के बर्मामाइंस के मुसलमानों ने तय किया है कि हिंदू नाबालिग युवक की मौत के दुख और शोक में वे लोग इस साल मुहर्रम जुलूस नहीं निकालेंगे. जुलूस की सारी तैयारी हो चुकी थी. लेकिन बर्मामाइंस के कैलाश कॉलोनी में मुसलिम समुदाय के लोगों ने सोमवार को बैठक की ओर तय किया कि इस साल वे लोग मोहर्रम का जुलूस नहीं निकालेंगे. बर्मामाइंस के कैलाश कॉलोनी से मोहर्रम जुलूस नहीं निकालने का निर्णय वहां के मोहर्रम कमेटी के लोगों ने लिया है. कमेटी के मो आफताब ने बताया कि पिछले दिनों कैरेज कॉलोनी के रहने वाले नाबालिग लाखों सिंह की हत्या राजनगर इलाके में कर दी गई थी. इसके गम में ही मोहर्रम कमेटी की ओर से जुलूस नहीं निकालने का निर्णय लिया गया है. इस बार शोक मनाया जा रहा है. इसके पहले तक कैरेज कॉलोनी से चौक तक मोहर्रम जुलूस निकाला जाता था, लेकिन इस बार जुलूस नहीं निकाला जाएगा. सादे समारोह में मोहर्रम का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान फातिया खानी पढ़ी जाएगी व अन्य कार्यक्रम भी होंगे, लेकिन जुलूस नहीं निकाला जाएगा. जुलूस नहीं निकालने का निर्णय संयुक्त रूप से बैठक करके लिया गया है. इसके लिए सभी लोगों ने सहमति भी जताई है.

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