जादूगोड़ा : एक ओर झारखंड सरकार विलुप्त होती इस सबर जनजाति को बचाने के लिए साल में करोड़ों रुपये खर्च करती है. वही पोटका प्रखंड 02 अंतर्गत नारदा पंचायत के कुंदरु कोचा गांव से सटे कायरा झरना उर्फ केला झरना निवासी गुरूबारी सबर बदहाल जिंदगी जीने को विवश है. जंगल में उगे जगली फल या लकड़ी बेच कर अपनी जीविका चलाती है. पीने को पानी नही. ऐसे में चुआं का गंदा पानी से अपने व अपने बच्चों का प्यास बुझाती है. न तो बिजली है व न ही सड़क. रहने के लिए पेंशन से मिली राशि से चदरा का छत बनाकर टूटी – फूटी घर में रहने को विवश है. (नीचे भी पढ़ें)
कायरा झरना तक बिजली नही आने से आधा दर्जन सबर डिबरी युग में जीने को विवश है. गांव के ग्राम प्रधान बुदेश्वर सरदार, उदय सरदार, गोपी नाथ सरदार ने गुरु बारी सबर के लिए गांव में बिजली व वन पट्टा देने की मांग उठाई है. ताकि घर विहीन इस सबर परिवार को बिरसा आवास समेत पानी, बिजली मिल सके. बहरहाल देखना यह है कि ग्रामीणों की मांग पर पोटका प्रखंड के बाबू सबर परिवार के उत्थान को लेकर कितनी संजीदगी दिखाते है या उसके हाल पर छोड़ देते है, यह गौर करने वाली बात होगी.