गालूडीह : गालूडीह के बनिया पाड़ा में गुरुवार को गंधवनिक संप्रदाय द्वारा दो जगहों पर मां गंधेश्वरी की पूजा की गयी. इसके साथ ही तीन दिवसीय पूजा शुरू हो गयी. यहां पूर्वजों द्वारा दो सौ वर्षों से मां गंधेश्वरी की पूजा की जा रही है. इस अवसर पर भव्य कलश यात्रा निकाली गयी. कलश यात्रा में 108 महिलाएं शामिल हुई. कलश यात्रा मंदिर परिसर से शुरू हुई. फिर रंकणी तालाब से पानी लेकर जोड़िसा रोड, अंडरपास, सुभाष चौक और गालूडीह मुख्य बाजार होते हुए वापस गंधेश्वरी मंदिर में संपन्न हुई. पुजारी आनंद बनर्जी और पापुन मजूमदार द्वारा कलश स्थापना की गयी. इसके बाद मां की पूजा शुरू की गयी. (नीचे भी पढ़ें)
भक्तों द्वारा मां को फूल, बेलपत्र प्रसाद आदि चढ़ाया गया. बनिया पाड़ा में गंधेश्वरी पूजा आदिकाल से की जा रही है. आदिकाल से बनिया संप्रदाय के लोग मां की पूजा करते आ रहे हैं. इस दिन से विसर्जन तक समाज के लोग अपने प्रतिष्ठान, दुकान आदि बंद रखते हैं तथा तराजू का उपयोग नहीं करते हैं. कहा जाता है कि वर्षों पहले गंधवनिक संप्रदाय गंधदीप नामक जगह पर व्यापार करने जाते थे. उस समय गंधासुर नामक असुर व्यापारियों पर बहुत अत्याचार करता था. गंधवनिक संप्रदाय के लोगों ने मां दुर्गा की आराधना और पूजा की. उसके बाद मां दुर्गा ने गंधासुर नामक दैत्य का वध कर दिया. तब से लेकर आजतक गंधवनिक संप्रदाय के लोग मां की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं.