बहरागोड़ा : बहरागोड़ा प्रखंड के मौदा, गुहियापाल,केशरदा, बनकाटा,खंडामौदा, साकार,पाथरी, बनकाटा गांव के ओड़िया समाज के लोगों ने शुक्रवार को रजो संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया. प्रखंड में आज भी ओड़िया भाषी लोग रहते हैं. लेकिन ओड़िया भाषी लोगों ने यही यहां रहकर अपने वजूद और परंपराओं को जिंदा रखे हुए हैं. यह लोक पर्व कई मायनों में अद्रभुत है. यह पर्व जहां बेटियों के प्रति अत्यधिक सम्मान भाव को रेखांकित करता है, वहीं हर प्राणी को अन्न देने वाली धरती माता के प्रति भी आगाध प्रेम प्रकट करता है. इतना ही नहीं कृषक संस्कृति का भी वाहक है. चार दिनों तक ओड़िया भाषी लोगों के बीच मनाए जाने वाला यह पर्व इस बार 14 जून को प्रारंभ हुआ है. 17 जून 2024 तक मनाया जाएगा. इन चार दिनों में पहला दिन राजा कहलाता है. दूसरा दिन मिथुना संक्रांति कहलाता है. (नीचे भी पढ़ें)
तीसरा दिन भू-दाहा या बासी राजा कहलाता है. चौथा दिन वसुमती स्नान कहलाता है. ओड़िया भाषी समुदाय के अलावा झारखंड के कई हिस्सों में आदिवासी भी इस पर्व को मनाते हैं. यह पर्व विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के लिए बनाया गया है. इस दौरान दोनों आराम करती हैं. दूध, हल्दी और चंदन से इन्हें स्नान कराया जाता है. इसके पश्चात नए कपड़े पहन कर लड़कियां सहेलियों के साथ झूला झूलती हैं. उनके झूलों को फूलों से सजाया जाता है. इस दौरान लड़कियों की हर इच्छा का सम्मान किया जाता है. इसमें हर एक व्यक्ति पान खाते है रजो संक्रांति मिठास है गांवों में इस समय इस पर्व की धूम मची हुई है.