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Jamshedpur Surya mandir controversy : सिदगोड़ा सूर्य मंदिर समिति में सरकारी भूखंडों पर सरकारी धन से निर्मित परिसंपतियों पर अवैध कब्जा करने और इनका व्यवसायिक उपयोग करने के षडयंत्र के खिलाफ भाजमो ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर कारवाई की मांग की, ये सारी साजिश का ज्ञापन में किया गया खुलासा

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जमशेदपुर : भारतीय जनतंत्र मोर्चा जमशेदपुर महानगर के प्रतिनिधिमंडल ने जमशेदपुर जिलाध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव की अगुवाई में उपायुक्त की अनुपस्थिति में अपर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर सूर्य मंदिर समिति सिदगोड़ा द्वारा सरकारी भूखंडों पर सरकारी धन से निर्मित परिसंपतियों पर अवैध कब्जा करने और इनका व्यवसायिक उपयोग करने के खिलाफ ज्ञापन सौंपकर कारवाई की मांग की. ज्ञापन में बताया गया कि सोन मंडप के बगल में बने सूर्य मंदिर एवं अन्य मंदिरों की प्रबंधन समिति ने विगत कई वर्षों से सरकारी जमीन पर सरकारी निधि से निर्मित एवं विकसित परिसंपतियों पर अवैध कब्जा कर रखा है और इसका व्यवसायिक उपयोग कर रहा है. धर्म के नाम पर धंधा करने की इस क्रियाकलाप पर प्रशासन की ओर से अंकुश लगना चाहिए. इन लोगों ने बताया है कि सूर्य मंदिर और इसके परिसर में बने अन्य मंदिरों के निर्माण में विधायक निधि एवं अन्य सरकारी निधियों का दुरूपयोग हुआ है. जिला प्रशासन की सात सदस्यीय जांच दल के प्रतिवेदन में यह साबित हो गया है. सूर्य मंदिर के मुख्य संरक्षक, झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास जब 2019 में विधानसभा चुनाव हार गये तो उन्होंने तत्कालीन राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार के विकास निधि से करीब 15 लाख रूपये सूर्य मंदिर परिसर की बाउंड्री करने के लिए स्वीकृत कराया और इस निधि से सूर्य मंदिर एवं अन्य मंदिरों की बाउंड्री बनाई गई. बाउंड्री बनाने की एजेंसी के रूप में पूर्वी सिंहभूम जिला परिषद का चयन हुआ था. इसके बाद मंदिर परिसर के बाहर की सरकारी जमीन मंदिर परिसर से अलग हो गया. हाल ही में सूर्य मंदिर समिति के सदस्यों ने सरकारी निधि से जिला परिषद द्वारा बनाई गई यह बाउंड्री धवस्त कर दिया, जिसके विरूद्ध जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति ने सिदगोडा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराया है. इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बाउंड्री तोड़ने के पीछे इनकी साजिश है कि बाउंड्री के बाहर करीब तीन एकड़ में फैले सरकारी भूखंडों और इन पर सृजित परिसंपतियों पर अवैध कब्जा कर लिया जाये. इन परिसंपतियों में एक चिल्ड्रेन पार्क पहले से पर्यटन विभाग की निधि से बना हुआ है, जिसे विभागीय सचिव द्वारा जेएनएसी को सौंप दिया गया है. कोरोना काल में एक दिन सूर्य मंदिर समिति के सदस्यों ने चिल्ड्रेन पार्क का ढांचा तोड़ दिया और इन्हें अन्यत्र ले जाने लगे. (नीचे भी पढ़ें)

स्थानीय लोगों के विरोध के कारण उन्हें इस ढांचा को बगल के मैदान में रखना पड़ा. इस मामले में जिला पर्यटन पदाधिकारी ने दोषियों के विरूद्ध सिदगोड़ा थाना में एफआईआर दर्ज किया. चिल्ड्रेन पार्क की बिखरी संरचना को जोड़कर पुनः उस स्थान पर चिल्ड्रेन पार्क स्थापित किया गया और विधायक सरयू राय की विधायक निधि से पार्क में कतिपय अन्य उपकरण लगाये गये. चिल्ड्रेन पार्क फिर से चलने लगा तो सूर्य मंदिर समिति के सदस्यों ने पहले की तरह इसमें प्रवेश के लिए 5 रूपये प्रति व्यक्ति का टिकट निर्धारित कर दिया और पार्क में प्रवेश् करने वालों से अवैध वसूली करने लगे. उन्होंने जो टिकट खरीदेगा उसी का प्रवेश चिल्ड्रेन पार्क में होगा, का नियम बना दिया. स्थानीय विधायक सरयू राय के प्रयास से करीब साल डेढ़ साल बाद जब अनुमंडल पदाधिकारी ने कड़ी लिखित चेतावनी जारी किया तब जाकर चिल्ड्रेन पार्क की अवैध वसूली बंद हुई. इसी तरह का 5 रूपया का टिकट ये लोग सरकारी निधि से बनाये गये शंख मैदान पार्क में प्रवेश के लिए भी करते थे, जिसे बंद कराया गया. मंदिर परिसर की दाहिनी ओर विधायक निधि एवं जिला योजना की निधि से बनी एक मंजिला और दो मंजिला इमारतों पर भी सूर्य मंदिर समिति ने कब्जा कायम कर रखा है और इसका व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि सोन मंडप और यात्री निवास को भी सूर्य मंदिर समिति के सदस्यों ने अपने कब्जा में ले लिया था तब रघुवर दास की सरकार थी. पर्यटन विभाग से इन्होंने घोषित करा दिया कि ये संरचनाएं असंचालित है. कारण कि टेंडर निकला तो इन्हें लेने के लिए कोई नहीं आयेगा. (नीचे भी पढ़ें)

दूसरी ओर ये संरचनाएं पूर्णतः संचालित थी और सूर्य मंदिर समिति के कतिपय सदस्य इनसे होने वाला लाभ एक निजी बैंक खाता खोलकर उसमें जमा करते थे. कोरोना के समय यह जानकारी मिली और स्थानीय विधायक सरयू राय ने इन सरकारी परिसंपतियों को अपने हाथ में लेकर संचालित करने के लिए जेएनएसी को कहा. जेएनएसी ने इन्हें अपने कब्जा में लिया तो कई वर्षों से इनका संचालन कर रहे व्यक्तियों द्वारा खोले गये निजी बैंक खाता से करीब 15 लाख रूपये की राशि जेएनएसी को वापस हुए. इतना ही नहीं नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने इन परिसंपतियों का अंकेक्षण किया तो पर्यटन विभाग द्वारा बताया गया कि निविदा के विरूद्ध कोई भी व्यक्ति या संस्था इनका संचालन करने के लिए आगे नहीं आया तो सोन मंडप और यात्री निवास असंचालित रह गया. अंकेक्षण दल ने जब इनका भौतिक सत्यापन स्थल पर जाकर किया तो पता चला कि ये परिसंपतियां पूर्णतः संचालित है और इनका व्यवसायिक उपयोग हो रहा है. स्थानीय विधायक सरयू राय ने इस संबंध में एक से अधिक प्रश्न और ध्यानाकर्षण सूचना विधानसभा में दिया तो इनके उत्तर में सरकार द्वारा बताया गया कि यह भूखंड सरकारी है और इस पर जो भी संरचनाएं बने है वे सरकारी निधि से बनाई गई हैं. इनका व्यवसायिक उपयोग के लिए की जा रही वसूली अवैध है और इन्हें बंद कराया जाएगा. वर्ष 2018 में राज्य सरकार की सोलर नीति के अनुरूप सोन मंडप, यात्री निवास और टाउन हॉल के भवनों पर सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित किया गया, जिससे 42 किलोवाट विद्युत उत्पादन होता था, इस उत्पादन का उपयोग नीति के अनुसार संबंधित भवनों में न होकर सूर्य मंदिर एवं अन्य मंदिरों में किया जा रहा था. दूसरी ओर सोन मंडप, यात्री निवास और टाउन हॉल पर लाखों रूपये का बिजली बिल का बकाया हो गया जिसके कारण से टाटा स्टील यूआईएसएल (पूर्ववर्ती जुस्को) द्वारा टाउन हॉल की बिजली काट दिया गया, आज भी वही स्थिति है. स्थिति यह है कि जो लोग टाउन हॉल की बुकिंग कराते हैं, उन्हें अपने पैसे से जेनरेटर के लिए डीजल खरीद कर देना पड़ता है. पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन उपायुक्त ने सरकारी भूखंडों और इन पर बने संपतियों को जेएनएसी को हस्तगत करने का निर्देश दिया तो जेएनएसी ने इन्हें हस्तगत भी कर लिया, परन्तु इनपर वास्तविक कब्जा जेएनएसी का नहीं है बल्कि सूर्य मंदिर समिति के लोगों का है. (नीचे भी पढ़ें)

संबंधित कागजात जिला समाहरणालय में उपलब्ध है. जब राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार की विकास निधि से सूर्य मंदिर परिसर की बाउंड्री हो गई और मंदिर परिसर सरकारी भूखंड से अलग हो गया तो विधायक सरयू राय ने सरकारी भूखंड को विकसित करने, इनका सौन्दर्यीकरण करने की कई योजनाएं अपने विधायक निधि से अनुशंसित किया, जिसकी स्वीकृति नियमानुसार अन्य प्रक्रियानुसार हो गईं. जेएनएसी को इसके लिए कार्यकारी एजेंसी नामित किया गया. निधि विमुक्त होकर जेएनएसी के खाता में भी आ गई, परंतु शंख मैदान के सौन्दर्यीकरण, इसके सामने बने दो तालाबों का उपयोग बच्चों के जल क्रीड़ा मनोरंजन के लिए करने तथा भूखंडों को विकसित करने का काम सूर्य मंदिर समिति द्वारा जबरन रोक दिया जा रहा है. यह सिलसिला पिछले आठ महीनों से चल रहा है. इसके बारे में जेएनएसी ने सिदगोड़ा थाना में एक एफआइआर भी दर्ज कराया है तथा प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी सूचना दी और कहा कि विधायक निधि से स्वीकृत योजनाओं के क्रियान्वयन में सूर्य मंदिर समिति के लोग बाधा उत्पन्न कर रहे हैं, इसलिए प्रशासन इनकी क्रियान्वयन के लिए पुलिस बल उपलब्ध कराये. परंतु आज तक प्रशासन द्वारा पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके कारण ये योजनाएं लंबित हैं. इन लोगों ने कहा है कि नियम-कानून के प्रावधानों को लागू करने और इसमें बाधा उत्पन्न करनेवालों के विरूद्ध कार्रवाई करना प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में है. इन लोगों ने विधायक निधि से स्वीकृत योजनाओं को शीघ्र क्रियान्वित करने के लिए विधि-सम्मत कार्रवाई करना चाहेंगे, सरकारी भूखंडों और सरकारी निधियों से निर्मित संरचनाओं को सूर्य मंदिर समिति के कब्जा से मुक्त कराना चाहेंगे, सांसद निधि से निर्मित सूर्य मंदिर परिसर की बाउंड्री को पुनः निर्मित कराना चाहेंगे और इसे ध्वस्त करने वालों के उपर कठोर कार्रवाई करना चाहेंगे. ज्ञापन सौंपने के दौरान मुख्य रूप से भाजमो जिला महामंत्री कुलविंदर सिंह पन्नु, चंद्रशेखर राव, राजेश कुमार, दिनेश्वर कुमार, प्रकाश कोया, हरेराम सिंह, मंजु सिंह, अमित शर्मा, आकाश शाह, राघवेंद्र प्रताप सिंह( झुन्ना), काकोली मुखर्जी, पुतुल सिंह, विजयनारायण सिंह, विनोद राय, असीम पाठक, मनकेश्वर चौबे, एस एन मिश्रा, सत्येंद्र सिंह, दिलिप प्रजापती, प्रेम रंजन घोष सहित अन्य उपस्थित थे.

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