जमशेदपुर: नरेश अग्रवाल व्यवसायी होने के बावजूद पुस्तकों के साथ अत्यधिक आत्मीयता से जुड़े हुए हैं. उनके निजी पुस्तकालय में 5000 के आसपास पुस्तकें हैं, जिनमें 90 फ़ीसदी साहित्य पर आधारित हैं , शेष राजस्थानी एवं दूसरी विधाओं पर हैं.इन पुस्तकों में अनेक दुर्लभ पुस्तकें भी शामिल है जो विदेशी भाषा में हैं या उनके अनुवाद के रूप में. अनेक बड़े साहित्यकारों की रचना समग्र भी इनके संकलन में हैं. जैसे निराला, रघुवीर सहाय, मुक्तिबोध, नागार्जुन, अज्ञेय, मंगलेश डबराल, विष्णु खरे, नामवर सिंह, अरुण कमल, लीलाधर जगूड़ी, विनोद कुमार शुक्ला, रामचंद्र शुक्ल आदि शामिल है. लगभग सारे प्रसिद्ध उपन्यासों के अलावा नई-पुरानी पीढ़ी के सभी कवियों के काव्य संकलन उपलब्ध हैं. सोवियत लेखन का सारा उपलब्ध साहित्य तो है ही, तुलसीदास एवं कालिदास की भी रचनावली है.(नीचे भी पढ़े)
शायद ही ऐसा कोई महत्वपूर्ण लेखक होगा जिनकी पुस्तक इनके संग्रह में नहीं होगी. महत्वपूर्ण आलोचना की पुस्तकों के अलावा, हाल में प्रकाशित 10 खंडों में रूस के महान लेखक चेखव की कहानियों की पुस्तकें भी इनके संग्रह में शामिल है. विदेशी पुस्तकों में यूरोप, लैटिन अमेरिका, अफ्रीकन, अरेबियन साहित्य, चीनी एवं जापानी लेखकों की मूल या अनुवादित पुस्तकें इनके पास हैं.नरेश की अपनी प्रकाशित पुस्तकों की संख्या 23 है और शीघ्र ही दो और पुस्तकें प्रकाशित होने वाली हैं. वे तीन त्रैमासिक पत्रिकाओं का संपादन भी कर रहे हैं. 1. अभिपुष्प 2. वनप्रिया 3. मरुधर के स्वर. कुछ समाचार पत्रों के साहित्य विभाग से भी जुड़े हैं.रचना समय के नाम से एक साहित्यिक वेबसाइट भी है जिनमें उनके साथ हिंदी के प्रतिष्ठित कहानीकार हरि भटनागर जी हैं.नरेश राज्य के अच्छे रचनाकारों को यथासंभव पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित करने में मदद करते हैं, अपनी पत्रिकाओं में भी स्थान देते हैं. इस तरह साहित्य में उनका योगदान अमूल्य व अतुलनीय है.