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Jharkhand big news – झारखंड सरकार को फिर से राज्यपाल ने दिया बड़ा झटका, राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 खतियान विधेयक वापस लौटाया, लौटाने का यह बताया कारण

रांची: 1932 का खतियान को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने लौटा दिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कैबिनेट की बैठक में स्थानीय नीति विधेयक 1932 खतियान आधारित पास किया था. रविवार को राज्यपाल रमेश बैस ने उसे एक सिरे से खारिज करते हुए वापस लौटा दिया है. राज्यपाल ने कहा है कि सरकार इस विधेयक की वैधानिकता की समीक्षा करें या संविधान के अनुरूप एवं उच्च न्यायालय के आदेशों और निर्देशों के अनुरूप है या नहीं.राज्यपाल ने कहा है कि यह विधेयक की समीक्षा के दौरान स्पष्ट पाया गया है कि संविधान की धारा 16 में सभी नागरिकों को नियोजन के मामले में समान अधिकार प्राप्त है. संविधान की धारा-16(3) के अनुसार मात्र संसद को यह शक्तियां प्रदत्त है कि वे विशेष प्रावधान के तहत धारा 35 (ए) के अंतर्गत नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तें लगाने का अधिकार अधिरोपित कर सकते हैं. राज्य विधानमंडल को यह शक्ति प्राप्त नहीं है. वीएस नरसिम्‍हा राव एवं अन्य बनाम आंध्र प्रदेश एवं अन्य (एआईआर 1970 एससी 422) में भी स्पष्ट व्याख्या की गई है कि नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तें लगाने का अधिकार मात्र भारतीय संसद में ही निहित है. इस प्रकार यह विधेयक संविधान के प्रावधान तथा उच्चतम न्यायालय के आदेश के विपरीत है. झारखंड राज्य के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र है जो पांचवीं अनुसूची के तहत आच्छादित होता है. उक्त क्षेत्रों में शत -प्रतिशत स्थानीय व्यक्तियों को नियोजन में आरक्षण देने के विषय पर उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक बेंच द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया जा चुका है.(नीचे भी पढ़े)

उक्त आदेश में भी उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में नियुक्तियों की शर्तें लगाने के राज्यपाल में निहित शक्तियों को भी संविधान की धारा 16 के विपरीत घोषित किया गया था. सत्यजीत कुमार बनाम झारखंड राज्य के मामले में भी पुनः सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में राज्य द्वारा दिये गए शत प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया गया था.राजभवन ने कहा कि विधि विभाग द्वारा यह स्पष्ट किया गया था कि प्रश्नगत विधेयक के प्रावधान संविधान एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के विपरीत है. कहा गया है कि ऐसा प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय एवं झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के अनुरूप नहीं है. ऐसा प्रावधान स्पष्टतः भारतीय संविधान के भाग तीन के अनुच्छेद 14, 15, 16 (2) में प्रदत्त मूल अधिकार से असंगत व प्रतिकूल प्रभाव रखने वाला प्रतीत होता है. जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 से भी प्रभावित होगा तथा अनावश्यक वाद-विवादों को जन्म देगा. ऱ्राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड कैबिनेट में पास और भी कई महत्वपूर्ण विधेयक को लौटा दिया है. अब धीरे धीरे राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच दूरियां बढ़ती ही जा रही है.

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