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jharkhand-JPSC- जेपीएससी में अब नई नियमावली के आधार पर होगी चार वर्षों की परीक्षा, संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने की सीमा समाप्त, आरक्षित श्रेणी के लिए कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता खत्म

रांची: झारखंड सरकार के निर्देश पर जेपीएससी द्वारा अब संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा (सातवीं) चार वर्षों वर्ष 2017, 2018, 2019 तथा 2020 तक के लिए एक साथ ली जा रही है. विभिन्न सेवाओं में कुल 252 पदों पर नियुक्ति के लिए इस साल फरवरी-मार्च में ही आवेदन मंगा लिए गए हैं. इसकी प्रारंभिक परीक्षा दो मई को ही होनेवाली थी, लेकिन कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण परीक्षा अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दी गई. राज्य सरकार ने छठी सिविल सेवा परीक्षाओं में हुए विवाद को ध्यान में रखते हुए इस परीक्षा के लिए भी कई बदलाव किए हैं. इसके लिए पहली बार संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा नियमावली गठित की गई. इसमें परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव किया गया है. इसके तहत 1,050 अंकों की मुख्य परीक्षा होगी जिनमें साक्षात्कार के भी 100 अंक शामिल हैं. छह पत्रों की मुख्य परीक्षा में पहला पत्र मात्र अर्हक (क्वालिफाइंग) प्रकृति का होगा तथा इसके अंक मेरिट लिस्ट में नहीं जुड़ेंगे. छठी सिविल सेवा परीक्षा में इसी विषय के अंकों को मेरिट सूची में जोड़ दिया गया था.अब संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के अवसर की सीमा भी समाप्त कर दी गई है. साथ ही इस परीक्षा में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता खत्म कर दी गई है. दरअसल, पहले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की संख्या कट ऑफ मार्क्स के अनुसार मुख्य परीक्षा के लिए 15 गुना नहीं हो पाती थी, क्योंकि इन श्रेणियों के छात्रों को अंक कम आते हैं. अब कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता हटने से अधिक से अधिक छात्र मुख्य परीक्षा के लिए क्वालिफाइ करेंगे, क्योंकि उसे उस सीमा तक घटाया जा सकेगा जिससे 15 गुना हो जाए.

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