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परमानेंट लोक अदालत ने बैंको के साथ की बैठक, एनपीए अकाउंट की रिकवरी पर हुई चर्चा

Jamshedpur : गुरुवार को परमानेंट लोक अदालत की ओर से पंजाब नेशनल बैंक मेन ब्रांच में सभी बैंकों के साथ बैठक की गयी. बैठक में बैंको के एनपीए अकाउंट की रिकवरी पर चर्चा हुई. इस दौरान एनपीए अकाउंट की रिकवरी सेटेलमेंट के माध्यम से करने का निर्णय लिया गया. लोक अदालत के मेंबर अरुनामकर ने बताया कि जिले में मौजूद राष्ट्रीय और प्राइवेट बैंकों में मौजूद एनपीए खातों की रिकवरी बैंक नहीं कर पा रहे हैं. बैंक द्वारा ग्राहकों से रुपये मांगने पर भी सही से रुपये नहीं आते. उन्होंने बताया कि लोक अदालत की जुडिक्शन के अनुसार एक करोड़ तक ही कलेक्शन करवा सकते हैं, लेकिन बैंकों द्वारा दिए गए एनपीए खातों की जानकारी मिलने के बाद ही आगे की प्रक्रिया की जाएगी.

क्या है एनपीए अकाउंट
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार बैंक को जब किसी परिसंपत्ति (असेट्स) से आय अर्जित होनी बंद हो जाती है, तो उसे एनपीए मान लिया जाता है. उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति ने कार खरीदने के लिए बैंक से लोन लिया. अगर वह व्यक्ति किसी कारणवश लगातार तीन महीने तक मासिक किश्तों का भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक को अपने बही-खाते में यह राशि एनपीए के रूप में दर्ज करनी होती है. बैंकों का एनपीए दो स्थिति में बढ़ता है. पहली, जब अर्थव्यवस्था में कारोबार सुस्त रहता है और दूसरी, जब कोई व्यक्ति या कंपनी जानबूझकर बैंक का कर्ज नहीं चुकाते हैं. जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ कहते हैं. इस तरह लगातार 90 दिन तक मूलधन या ब्याज की किश्त का भुगतान न होने पर लोन खाता एनपीए बन जाता है.

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