रांची : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन, शुक्रवार को सरकारी उपक्रमों से संबंधित समिति ने अपना प्रतिवेदन सभा पटल पर उपस्थापित किया. भानु प्रताप शाही, मथुरा प्रसाद महतो, जयप्रकाश भाई पटेल, दीपिका पांडे सिंह एवं सुदिव्य कुमार की सदस्यता वाली समिति के सभापति सरयू राय ने यह प्रतिवेदन विधानसभा के पटल पर रखा. (नीचे भी पढ़ें)
नन फंक्शनल प्रतीत हो रहे उपक्रमों को बंद करने से संबंधित इस प्रतिवेदन में समिति ने इससे पूर्व सीएजी के विभिन्न प्रतिवेदनों में सृजित पारा एवं सरकार के विभिन्न उपक्रमों के व्यावसायिक एवं व्यापारिक दृष्टिकोण से क्रियाकलापों पर महालेकाकार/महा लेखाकार के प्रतिनिधि की उपस्थिति में विभिन्न उपक्रमों के पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया. इस क्रम में समिति ने पाया कि सरकार के कई उपक्रमों का गठन के बाद अब तक खाता भी नहीं खुला है या कई के खाते खोले जाने के बाद भी उनके ऑडिट को अद्यतन नहीं रखा गया, जो किसी भी उपक्रम की वित्तीय स्थिति की जानकारी के लिए आवश्यक है. वहीं कई उपक्रम क्रियाकलाप की दृष्टि से नन फंक्शनल भी हैं एवं उनकी कोई विशेष उपयोगिता नहीं रह गयी है, जिससे उन्हें बंद कर देना ही श्रेयस्कर जान पड़ता है. प्रतिवेदन में नन फंक्शनल बताते हुए बंद करने की अनुशंसा की गयी है उनमें झारखंड शहरी परिवहन विकास निगम, झालको, पतरातू इनर्जी लिमिटेड, झारबिहार जैसे उपक्रम शामिल हैं, जिनका क्लोजर करते हुए उसमें हुए निवेश को बेच कर सरकार वापस ले ले. इसी तरह रांची ग्रेटर विकास एजेंसी द्वारा रांची के परिधीय विस्तार एवं विकास किये जाने की जरूरत बताते हुए विगत 20 वर्षों में जीआरडीए द्वारा मात्र रांची के कॉल कैपिटल एरिया में झारखंड विधानसभा, उच्च न्यायालय एवं उसमें सिवरेज व वाटर सप्लाई के अतिरिक्त और कोई काम नहीं किया गया है. यही नहीं, वर्तमान में उसकी गतिविधियां बहुत कम हैं एवं उसके द्वारा किये गये कार्य किसी से भी कराया जा सकता था. ऐसे में जीआरडीए को बनाये रखने पर भी सरकार से विचार करने की सिफारिश की गयी है.