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Singhbhum Chamber- सिंहभूम चैम्बर ने साईबर अपराध से ग्राहकों को बचाने के लिए आरबीआई गर्वनर को दिए सुझाव – बैंकों में एनईएफटी,आरटीजीएस में लाभार्थियों के नामों के मिलान की हो बाध्यता

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जमशेदपुर: सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने ग्राहकों के द्वारा बैंक के माध्यम से एनईएफटी व आरटीजीएस करने के समय लाभार्थी के खाता संख्या और आईएफसी कोड का ग्राहकों के नाम के साथ मिलान न करने से होने वाली साईबर अपराधों के संबंध में तथा इन पर रोकथाम के लिए किये जाने वाले उपायों को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर को पत्र के माध्यम से ध्यानाकृष्ट कराया है. इसकी जानकारी चैंबर अध्यक्ष विजय आनंद मूनका तथा मानद महासचिव मानव केडिया ने दी. (नीचे भी पढ़े)

श्री मूनका ने कहा कि आज कल साईबर अपराधी लोगों को लूटने के नीत नये-नये तरीके अपना रहे हैं और साईबर अपराधियों द्वारा ऐसे अपराधों का ग्राफ उपर की ओर लगातार बढ़ते जा रहा है. जिसमें बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा नियामक कार्रवाइयों से जांच की आवश्यकता है लेकिन बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा इसकी जांच नहीं की जा रही है. साईबर अपराधी ग्राहकों के द्वारा बैंक के माध्यम से एनईएफटी/आरटीजीएस भुगतान पर भी बैंक ग्राहकों के साथ साईबर अपराध की घटना को अंजाम देकर उन्हें अपना शिकार बना रहे हैं. इसमें बैंकों के द्वारा एनईएफटी/आरटीजीएस के समय लाभार्थी के खाता संख्या एवं आईएफसी कोड के साथ उनके नाम का मिलान न करना भी एक प्रमुख कारण बन रहा है.(नीचे भी पढ़े)

साईबर अपराधी एनईएफटी/आरटीजीएस से वित्तीय लेनदेन में बैंक की खामियों और फूलप्रूफ प्रणाली के साथ कार्य न करने की कमी का भी अनुचित लाभ उठाकर उन्हें अपना शिकार बनाकर लाखों की ठगी कर रहें हैं. अध्यक्ष ने बताया इन घटनाओं की रोकथाम को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया गर्वनर को पत्र लिखकर उनका ध्यानाकृष्ट कराते हुए आग्रह किया गया है कि बैंकों को सिस्टम को फूलप्रूफ बनाने के लिए यह निर्देशित किया जाय कि लाभार्थी का नाम, खाता संख्या और आईएफसी कोड को अनिवार्य रूप से सत्यापित करना चाहिए और यह सुनिश्चित हो कि एनईएफटी व आरटीजीएस से लाभार्थी के खाते में ही पैसा जमा हो.(नीचे भी पढ़े)

मानद महासचिव मानव केडिया ने बताया कि पिछले दिनों में जमशेदपुर के एक व्यवसायी जिन्होंने किसी संस्थान से खरीदारी के पश्चात् उनके खाते में एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से पैसा हस्तांरित किया और इसके लिए फॉर्म में विक्रयकर्ता का खाता संख्या, आईएफसी कोड के साथ उनका नाम अंकित किया था. लेकिन साईबर अपराधियों ने बड़े ही शातिर तरीके से ईमेल के माध्यम से अपने खाता संख्या और आईएफसी कोड विक्रयकर्ता के नाम से खरीदार को भेज दिया. जिसमें एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से पैसा भेजने पर वह विक्रय कर्ता के खाते में न जाकर साईबर अपराधी के खाते में जमा हो गया. (नीचे भी पढ़े)

इससे व्यवसायी को लाखों की चपत लग गई. इसलिए ऐसे मामलों में बैंकों को भी सतर्कता बरतते हुए नाम के साथ खाता संख्या एवं आईएफसी कोड का मिलान कर सत्यापित अवश्य करना चाहिए.चैम्बर के पदाधिकारियों में उपाध्यक्ष अनिल मोदी, अधिवक्ता राजीव अग्रवाल, पुनीत कांवटिया, अभिषेक अग्रवाल गोल्डी, सचिव भरत मकानी, अंशुल रिंगसिया, बिनोद शर्मा, सुरेश शर्मा लिपु एवं कोषाध्यक्ष सीए अनिल रिंगसिया ने भी गर्वनर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आग्रह किया कि वे बैंकों को यह निर्देशित करे ऐसे मामलों में उचित जांच अवश्य करें, जिससे ग्राहकों को लाखों रूपये की हानि होने से बचाया जा सके.

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