रामगोपाल जेना,कोल्हान/कुमारडुंगी: कुमारडुंगी प्रखंड के तियापोसी गांव में मझगांव विधानसभा के विधायक निरल पूर्ति ने ग्रामीणों के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर बैठक की. बैठक को संबोधित करते हुए विधायक निरल पूर्ति ने कहा कि यह चुनाव आदिवासियों के अस्तित्व को बचाने का चुनाव है. हम आदिवासियों की संस्कृति,संस्कार,नियम,कानून और अधिकार से जुड़ा हुआ चुनाव है. देश में एक अलग शक्ति कार्य कर रही है. जो आदिवासी, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी है.(नीचे भी पढ़े)
उन्हें सिर्फ कुछ ही लोग दिखाई देते हैं. जिनका विकास देश में हो रहा है. इसी को देखते हुए दिशुम गुरु शिबू सोरेन ने पूर्व मंत्री जोबा मांझी को चुनाव मैदान में उतारा. उन्हें हर हाल में जीत दिलाकर दिल्ली के लिए भेजना है जो आदिवासियों के हक की आवाज संसद में उठा सके. पिछले बार गठबंधन के तहत कांग्रेस के प्रत्याशी गीता कोड़ा को जीत दिलाकर दिल्ली भेजा गया था. लेकिन वहां आदिवासियों की आवाज उठाई ही नहीं. सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर 5 साल गुजार दिया. अचानक चुनाव के समय अपने पति मधु कोड़ा को बचाने के लिए गीता कोड़ा ने भाजपा का दामन थाम लिया है. पूरे देश में एक डर का माहौल भाजपा ने पैदा किया, इसी डर के कारण कोड़ा दंपति ने आदिवासियों के हितों के साथ समझौता कर भाजपा के पाले में चले गए. इस बार कोडा दंपति को गांव-गांव से सबक सिखाना है.(नीचे भी पढ़े)
क्योंकि आदिवासी विरोधी भाजपा कभी भी आदिवासियों का भला नहीं कर सकते. ऐसे में भाजपा प्रत्याशी बनकर गीता कोड़ा ने आदिवासियों के साथ बहुत बड़ा छलावा किया है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऊपर भी भाजपा दबाव बनाकर अपने पाले में करने की कोशिश किया, लेकिन हेमंत सोरेन एक योद्धा की तरह भाजपा से भिड़ते हुए ईंट का जवाब पत्थर से दे दिया.यही नतीजा है कि उन्हें गलत तरीके से ईडी के सहारे जेल में डालने का षड्यंत्र भाजपा ने रच दिया. यह पूरा घटना राज्य के एक-एक आदिवासी परिवार देख रही थीं. चुनाव के समय इसका पूरा बदला वोट के जरिए दिया जाएगा. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी जोबा मांझी को तीर धनुष छाप में बटन दबाकर भारी मतों से विजय दिलाना ही हम सभी आदिवासी भाइयों का कर्तव्य बन गया है. इस मौके पर सिंगा बागे, दिनेश महतो, कृष्णा गागराई, जुमल बागे समेत अन्य मौजूद थे.