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West-singhbhum : आज भी विकास की बाट जोह रहा 1832 के कोल विद्रोह के नायक शहीद पोटो हो का गांव राजाबासा, कच्चे व खपरैल घरों में रहने को विवश ग्रामीण

Chaibasa : कोल्हान में स्वतंत्रता संग्राम के 1832 को कोल विद्रोह के महानायक पोटो हो का गांव आज भी सरकारी उपेक्षा का शिकार है. इतिहास के पन्नों में दर्ज अमर शहीद पोटो हो का गांव राजाबासा पश्चिमी सिंहभूम जिला के जगन्नाथपुर प्रखंड में है, जहां आज भी विकास नहीं हो सका है. शहीद के गांव में आज भी न तो सडक है न नाली और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली की अच्छी व्यवस्था है. गांव में सड़क और नाली नहीं होने के कारण पूरे गांव बारिश का पानी जमा हुआ है. इस कारण गांव के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है. गांव में 10-12 लोगों को छोड़ किसी को पीएम आवास नहीं मिला है.

अधिकांश लोग कच्चे या खपरैल घरों में ही रहते हैं. गांव में 60-65 परिवार शहीद के वंशज हैं. इन सबों की स्थिति आम ग्रामीणों की ही तरह है. पिछली सरकार ने राज्य में शहीदों के गांव के विकास के लिए योजना शुरू की थी, जिसके तहत गांव का संपूर्ण विकास किया जाना था. इसके तहत गांव में शहीद का स्मारक, प्रतिमा, प्रवेश द्वार और सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करानी थी, लेकिन न तो स्मारक बना, न ही प्रतिमा लगी और न ही अन्य किसी तरह के विकास कार्य किए गए.

पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने अपने कार्यकाल में शहीद पोटो हो के स्मरण में सेरेंगेसिया घाटी में उस जगह पर भव्य शहीद बेदी और पार्क बनवाया था, जहां पोटो हो को अंग्रजों ने एक पेड़ में फांसी पर लटका दिया था. कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने शहीद गांव के विकास के लिए काफी अच्छा प्रयास किया था और विकास शुरू भी किया, लेकिन महज 30 फीसदी कार्य होने के बाद इसमें विराम लग गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्तमान राज्य सरकार को इस पर पहल करनी चाहिए.

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