मध्यप्रदेश : मध्यप्रदेश के बालाघाट में एक जैन मुनि विराग सागर महाराज ने 171 दिन सिर्फ गर्म पानी पीकर अपना तप पूरा किया है. दरअसल जैन संत विराग मुनि गुजरात से पैदल चले थे, और महाराष्ट्र के चंद्रपुर में 15 जनवरी 2023 को उन्होंने निराहार व्रत शुरू किया था. जन कल्याण के उद्देश्य से शुरू किए इस व्रत में वे सिर्फ पानी ग्रहण करते थे. उन्होंने महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश होते हुए पैदल ही अपनी यात्रा पूरी की. वहीं उन्होंने 5 जुलाई को पारणा में उपवास खत्म किया. इस दौरान उन्होंने सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा की थी. वे एक स्थान से दूसरे स्थान पैदल ही जाते हैं, गाड़ी या कार से नहीं चलते. वहीं यह बात भी कही जा रही है कि महावीर स्वामी के बाद विराग मुनि ने ही इतनी लंबी तपस्या की है. वहीं लोगों का कहना है कि पैदल यात्रा के दौरान संत प्रतिदिन नृत क्रिया कर तपस्या करते रहे. (नीचे भी पढ़ें)
कैसे की इतने दिन तक तपस्या
संत ने बताया कि 15 जनवरी को उन्होंने निराहार व्रत की शुरुआत की. मार्ग में अनुकूलता नहीं होने के कारण उन्होंने 30 दिनों तक निराहार व्रत को जारी रखा. इसके पश्चात उन्हें और शक्ति महसूस होने लगी. तभी उन्होंने इस व्रत को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि आत्मा पर बना हुआ आंत संग्रह को तोड़ने का प्रयास उन्होंने किया है. (नीचे भी पढ़ें और देखें वीडियो)
कौन हैं ये संत और कैसे मिली उपाधि
आचार्य विराग सागर महाराज का जन्म पथरिया में 2 मई 1963 को हुआ. उनके पिता कपूरचंद और मां श्यामा देवी हैं. इनकी दीक्षा की शुरुआत 2 फरवरी 1980 को शहडोल के बुढ़ार में सन्मति सागर महाराज की छुल्लक दीक्षा से हुई. इसके बाद औरंगाबाद में आचार्य विमल सागर महाराज ने 9 दिसंबर 1986 को इन्हें मुनि दीक्षा दी. इसके बाद छतरपुर के द्रोणागिरि में 8 नवंबर 1992 को उन्हें आचार्य श्री की उपाधि दी गई. पूर्व में उन्हें मनोज पुत्र गौतमजी डाकलिया के नाम से जाना जाता था. (नीचे भी पढ़ें)
चिकित्सक पहुंचे बालाघाट
विराग सागर से पूर्व महावीर स्वामी ने 179 दिनों का निराहार उपवास किया था. वहीं इसे देखते हुए एक चिकित्सक मध्यप्रदेश के बालाघाट पहुंचे थे, जिन्होंने संत की स्वास्थ्य जांच की, जिसमें फिजिकल एवं अन्य जांच शामिल थी. वहीं इसे लेकर चिकित्सक से वैज्ञानिक तक आश्चर्य में हैं कि बिना भोजन ग्रहण किये भी इतने दिनों की तपस्या की जा सकती है. इस पर शोध जारी है.