शार्प भारत डेस्क : वट सावित्री व्रत अखंड सौभाग्य से जुड़ा हुआ व्रत है. उत्तर भारत में सुहागन महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं. महिलाएं वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को रखती हैं. इस तिथि को शनि जयंती भी मनाई जाती है. वट सावित्री का व्रत निर्जला रखते हैं, वट वृक्ष और सावित्री की पूजा करते हैं. उस दौरान वट सावित्री व्रत कथा को सुना जाता है. इससे व्रत का महत्व पता चलता है और व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. इस साल वट सावित्री 19 मई दिन शुक्रवार को है. (नीचे भी पढ़ें)
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारंभ : 18 मई, गुरुवार, रात 09 बजकर 42 मिनट से
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन : 19 मई, शुक्रवार, रात 09 बजकर 22 मिनट पर.
वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त 2023
वट सावित्री व्रत के दिन जो महिलाएं व्रत रखेंगी, वो प्रात:काल से लेकर सुबह 10:35 बजे तक पूजा कर सकती हैं. उसके बाद दोपहर में सवा बारह बजे से दो बजे के बीच पूजा पाठ कर सकती हैं.
चार मुहूर्त – वट सावित्री व्रत वाले दिन सुबह 05:28 बजे से सुबह 07:11 बजे तक चर-सामान्य मुहूर्त है. उसके बाद सुबह 07:11 बजे से सुबह 08:53 बजे तक लाभ-उन्नति मुहूर्त है. अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 08:53 बजे से सुबह 10:35 बजे तक है. दोपहर में शुभ-उत्तम मुहूर्त 12:18 बजे से 02:00 बजे तक है. (नीचे भी पढ़ें)
वट सावित्री व्रत शुभ संयोग
इस वर्ष वट सावित्री का व्रत रखना बेहद शुभ और फलदायी होगा. वहीं शनि देव की कृपा भी अवश्य बनी रहेगी. वट सावित्री के दिन शनि अपनी स्वराशि में कुंभ में होंगे. जिससे शश नामक राजयोग बनेगा. इसके अलावा इस दिन सिद्धि योग भी रहेगा. इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में होंगे जिससे गजकेसरी योग बनेगा.