Chaibasa : थाना प्रभारी मधुसूदन मोदक ने राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज जलड़ीहा जगन्नाथपुर में विद्यार्थियों को शिक्षा की महत्ता बताते हुए उन्हें अच्छा नागरिक बनने की सलाह दी। थाना प्रभारी ने बच्चों से कहा कि अच्छा नागरिक बनने के लिए अच्छी शिक्षा, अच्छी सोच के साथ अच्छे संस्कार की जरूरत है। थाना प्रभारी मधुसूदन मोदक विद्यालय के प्रधानाध्यापक के आमंत्रण पर कॉलेज पहुंचे थे. सर्वप्रथम थाना प्रभारी मोदक ने प्रधानाध्यापक एवं उपस्थित शिक्षकों से विद्यालय के सुरक्षा संबंधी आवश्यक जानकारी ली। तत्पश्चात थाना प्रभारी मोदक ने कॉलेज के विद्यार्थियों को करीब दो घंटे तक अच्छी शिक्षा, अच्ची सोच और अच्छे संस्कार का महत्व बताते हुए उनका उत्साहवर्धन किया. साथ ही जीवन में सही लक्ष्य निर्धारण और लक्ष्य प्राप्ति के उपाय भी बताये। इस दरम्यान उन्होंने छात्रों को कई ज्ञानवर्धक कहानियां सुनायी। मधुसुदन मोदक ने एक कुम्हार की कहानी सुनाते हुए कहा कि एक कुम्हार मिट्टी से चिलम बना रहा था, कुम्हार की पत्नी आई और कुम्हार से बोली ये क्या बना रहे हो, कुम्हार ने जवाब दिया कि चिलम बना रहा हूं। आजकल बाजार में चिलम की काफी बिक्री हो रही है। कुम्हार की पत्नी बोली कि अभी गर्मी का मौसम है आप सुराही बनाइये खूब बिकेगी। कुम्हार ने पत्नी की बात सुनकर सभी बनाये हुए चिलम को फिर से मिट्टी में गूँथ दिए तथा सुराही बनाने लगा। इतने में मिट्टी से आवाज आई कि अरे कुम्हार क्या कर रहा है। कुम्हार बोला सुराही बना रहा हूं। मिट्टी बोली क्यों? कुम्हार ने जवाब दिया कि मेरी सोच बदल गयी। मिट्टी से आवाज आई तुम्हारी तो सोच बदल गयी, मेरी तो जिंदगी बदल गयी। चिलम बनता तो खुद भी गर्म होती दूसरे को भी गर्म करती। अब मैं सुराही बनूंगी, तो खुद शीतल रहूंगी और दूसरे को भी शीतल करूंगी। थाना प्रभारी मोदक ने कहा कि आदमी की सोच अपनी ओर दूसरे की जिंदगी बदल सकती है तथा इतिहास बदल सकती है। श्री मोदक ने आगे कहा कि शिक्षा के साथ अगर अच्छी सोच और अच्छे संस्कार हो तो व्यक्ति इतिहास बदल नहीं सकता, बल्कि अपना इतिहास खुद बना सकता है। इस पर विद्यार्थियों की ताली की गड़गड़ाहट से पूरा कॉलेज गूंज उठा। इसके साथ उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि कोई भी कार्य कानून के दायरे में रह कर ही करना चाहिए। कानून तोड़नेवाले कितने भी रसूकदार क्यों न हों, उन्हें जेल की हवा खानी ही पड़ती है। थानेदार मोदक ने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता, गुरुजन तथा बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करने की भी सीख दी.