BusinessCAIT : भारतीय रिटेल व्यापार वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों का...
spot_img

CAIT : भारतीय रिटेल व्यापार वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों का बंधक : कैट

राशिफल

जमशेदपुर : छोटे खुदरा, कॉर्पोरेट खुदरा, ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग सहित चार प्रमुख वर्टिकल वाले भारत के खुदरा व्यापार का तेजी से विस्तार हो रहा है, लेकिन डायरेक्ट सेलिंग को छोड़कर, इस सेक्टर के लिए किसी भी नीति या दिशा-निर्देशों के अभाव में भारतीय रिटेल क्षेत्र वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों के लिए एक खेल का मैदान बन गया है, जहाँ ये अपनी डीप डिस्काउंटिंग जैसी घातक नीतियों के सहारे अपना एकाधिकार जमाने में कामयाब रहे हैं। इससे देश के छोटे व्यापारियों द्वारा सही तरीके से व्यवसाय करने की संभावनाओं को गहरा आघात लगा है। इन कंपनियों के अनियंत्रित व्यावसायिक व्यवहार के कारण अब तक एक लाख से अधिक दुकानें, जिनमें से प्रमुख रूप से मोबाइल व्यापार है, बंद हो गई हैं और दुख की बात है कि उनके व्यावसायिक आचरण को रोकने के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं है। देश में कानून की प्रक्रिया इतनी धीमी है जो स्वदेशी रिटेल व्यापार के साथ न्याय करने में विफल रही है। अगर हमें छोटे व्यापारियों और खुदरा व्यापार को लोकतांत्रिक तरीके से काम करना है, तो सभी कार्यक्षेत्रों के लिए एक व्यापक नीति और सभी चार कार्यक्षेत्रों पर व्यापार गतिविधियों की निगरानी के लिए एक नियामक प्राधिकरण की तत्काल आवश्यकता है। ये कहना है कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का, जिसने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से विदेशी निवेश वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों के छोटे व्यापारियों के कारोबार को और अधिक नुकसान पहुंचाने से पहले तत्काल प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है। बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण प्रमुख रूप से मोबाइल व्यवसाय की 1.5 लाख से अधिक छोटी दुकानें बंद कर दी गई हैं जो कि गंभीर चिंता का विषय है। (नीचे भी पढ़ें)

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने कहा है कि पिछले 10 वर्षों की अवधि में, बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत से भारी धन अर्जित किया है, लेकिन उस धन का एक बड़ा हिस्सा रॉयल्टी के रूप में अपने मूल देशों में स्थानांतरित भी कर दिया था। यह अत्यंत खेद की बात है कि वे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के बहाने भारत आए, लेकिन उक्त धन का उपयोग विभिन्न व्यापारिक कदाचारों में या खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने और हावी होने की मंशा से किया गया, जबकि एफडीआई का वास्तविक अर्थ भारत में बुनियादी ढांचे का विकास का करना है, जिससे देश को फ़ायदा हो। ये कंपनियां अवैध सामानों का लेन-देन करने, खुले तौर पर कानून, नियमों और नीतिगत दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाने, गैर-स्तरीय खेल मैदान बनाने, जीएसटी और आयकर दोनों से बड़े पैमाने पर चोरी करने में लिप्त पाई गईं, लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है जो कि रिटेल इको सिस्टम को दूषित कर रहा है। वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को एक सुरक्षित मार्ग दिए जाने से व्यापारियों में भारी मायूसी है। अगर बड़ी कंपनियां कानून और नियमों का सम्मान नहीं करती हैं तो छोटे व्यापारियों पर छोटी गलतियों पर भी गाज क्यों गिरती है- दोनों व्यापारी नेताओं ने ये सवाल किया है। (नीचे भी पढ़ें)

श्री खंडेलवाल और श्री सोन्थालिया दोनों ने कहा कि वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में, डेटा एक संप्रभु धन बन गया है और इन कंपनियों ने भारत का बड़ा डेटा जमा किया है और कोई नहीं जानता कि डेटा का उपयोग किस तरह से किया गया है। ऐसा लगता है कि उनके द्वारा अर्जित डेटा पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है। यदि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा जल्दी कदम नहीं उठाए गए, तो देश के व्यापारी विदेशी निवेश वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों के हाथों भारतीय व्यापार को खो देंगे। खुदरा व्यापार पहले से ही कई बाधाओं का सामना कर रहा है और केंद्र या राज्य सरकारों से कोई समर्थन नहीं होने के बावजूद भी अपने आप खड़े होने की कोशिश कर रहा है। हम यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि नीति निर्माताओं की नजर में देश के आठ करोड़ व्यापारियों का कोई महत्व नहीं है। नीति आयोग जो एक प्रमुख नीति निर्माता है, तो वो व्यापारियों से बात करने में भी बुरी तरह विफल क्यू रहा है, जबकि वे भारतीय व्यापारियों के लिए नीतियां तैयार करता है। यह एक तथ्य है कि केवल 5% व्यापारी ही बैंकों और वित्तीय संस्थानों से वित्त प्राप्त करने में सक्षम हैं और बाकी व्यापारी अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं। देश में व्यापारियों का कोई वित्तीय समावेशन नहीं है। इन कारकों ने व्यापारियों को अब यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या व्यवसाय करना अब सार्थक नही है।

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading