कंपनी एंड ट्रेड यूनियनjamshedpur-remembers-russi-mody-कारपोरेट जगत में शायद ही कोई ऐसा शख्सियत होगा जो रुसी मोदी...
spot_img

jamshedpur-remembers-russi-mody-कारपोरेट जगत में शायद ही कोई ऐसा शख्सियत होगा जो रुसी मोदी की शख्सियत के बराबर हो सकता है, 50 पैसे में टाटा स्टील में फोरमैन की नौकरी की, फोरमैन से बने चेयरमैन भी, बाप राज्यपाल थे, लेकिन फोरमैन की नौकरी करना पसंद किया, जमशेदपुर ने किया रुसी मोदी को याद, जानें मजदूर और जमशेदपुर के चहेते कारपोरेट शख्सियत रुसी मोदी को

राशिफल

जमशेदपुर में रूसी मोदी के मकबरा पर माल्यार्पण करते जमशेदपुर के लोग.

जमशेदपुर : कहते है कि आप जिस भी फील्ड में रहे, लेकिन आपकी काम से ही और अपने कर्मों से ही व्यक्ति की पहचान होती है. ऐसे कई प्रबंधन के लोग आये और चले गये, लेकिन शायद ही कोई ऐसी छाप छोड़ी हो, जो आम आदमी के दिल में घर कर गया हो, लेकिन टाटा स्टील के पूर्व सीएमडी रुसी मोदी ने जो जगह लोगों के दिल में बनायी, उसका जीता-जागता उदाहरण यह है कि उनको उनकी मौत के करीब 8 साल के बाद भी लोग उनको याद कर रहे है. 16 मई 2014 को रुसी मोदी का निधन हो गया था. उनकी पुण्यतिथि पर जमशेदपुर के लोगों ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की. टाटा स्टील के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक रूसी मोदी की पुण्य तिथि के अवसर पर पारसी-आरामगा में उनके समाधि पर समाजसेवी उमेश सिंह, संतोष कुमार, अमन कुमार, कृष्णकांत एवं जमशेदपुर शहर के गणमान्य लोगों द्वारा पुष्प चढ़ाकर प्रार्थना की एवं उनके पुण्य तिथि के अवसर पर उनके याद में उमेश सिंह द्वारा “माइ स्टांप” टिकट जारी किया गया. भारतीय उद्योग जगत में प्रबंधन के क्षेत्र में बहुआयामी प्रतिभा के धनी रूसी मोदी का व्यक्तित्व औद्योगिक प्रबंधन की सीमा में सिमटा हुआ नहीं थे बल्कि व्यक्तिगत जीवन से लेकर समाज तथा देश की समस्याओं पर भी वे खुलकर अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता रखते थे. आम तौर पर औद्योगिक प्रबंधन की चोटी पर पहुंचे व्यक्ति राजनीति तथा देश के बारे में खुलकर नहीं बोलते, लेकिन रूसी मोदी निर्भीक रूप से इन विषयों पर अपनी मुख्तसर राय देते रहते थे. (नीचे पढ़े रुसी मोदी के जीवन से जुड़ी कई जानकारियां)

एक मीटिंग में जेआरडी टाटा बीच में, काला सूट में रतन टाटा और दूसरी तरफ सफेद शर्ट में रुसी मोदी

रुसी मोदी का निजी जीवन
रूसी मोदी का व्यक्तित्व निजी जीवन से लेकर कारपोरेट जगत में एक ऐसे व्यक्तित्व के रुप में जाने जाते है, जिसका कोई दूसरा बराबरी ही नहीं कर सकता है. टाटा स्टील और रुसी मोदी एक वक्त था, जब एक दूसरे के पर्याय माने जाते थे. टाटा स्टील में करीब 50 रुपये वेतनमान पर फोरमैन की नौकरी करने वाले रुस्तमजी होमुसजी मोदी (जिनका छोटा नाम रुसी मोदी जाना जाता था) कंपनी के सबसे ऊंचे पद पर विराजमान हुए थे. करीब 16 अंडों का आमलेट खाने वाले रुसी मोदी अपनी शर्तों पर जीने के लिए जाने जाते थे. उनके पिता सर होमी मोदी उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रह चुके थे. वह भारतीय विधानसभा के भी सदस्य रहे थे. रूसी मोदी का जन्म 1918 में मुंबई में हुआ था. उनके भाई पीलू मोदी सांसद रह चुके छे. उनके छोटे भाई काली मोदी डायनर्स क्लब की स्थापना की थी. रुसी मोदी का विवाह सिलू मुगासेठ हुई थी. उनकी कोई संतान नहीं थी. रुसी मोदी ने लंदन के हैरो स्कूल ऑफ ऑक्सफोर्ड के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की थी. रूसी मोदी मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए थे. लेकिन उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा कोई छोटी नौकरी करें. उनके पिता ने रुसी मोदी को नौकरी देने के लिए जेआरडी टाटा के पास भेज दिया. जेआरडी टाटा को सर होमी मोदी ने कहा कि उनके बेटे को टाटा में सबसे निचले स्तर की नौकरी दें, जिसके बाद उनको फोरमैन बनाया, जिसके बाद उनको चेयरमैन बनाया गया. रुसी मोदी जब इंगलैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे तो उन्हें महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन से मिलने का मौका मिला. संगीत के शौकीन रुसी मोदी ने इस दौरान आइंसटीन के साथ पियानो भी बजाया था. कुत्तो से भी उनको काफी प्रेम था. उनके दो कुत्ते थे जर्मनी और इटली को एक प्लेटफार्म पर लाने वाले बिस्मार्क और गैरी बोल्डी जैसे नाम अपने प्यारे कुत्तों को दिया था. (नीचे पढ़े रुसी मोदी के जीवन से जुड़ी कई जानकारियां)

जेआरडी टाटा के साथ रुसी मोदी, साथ में है मजदूर नेता स्वर्गीय वीजी गोपाल.

50 पैसे दैनिक वेतनमान पर काम शुरू किया और सीएमडी बन गये
रुसी मोदी 1939 में टाटा स्टील में ट्रेनीज के रुप में काम शुरू किया और 50 पैसा प्रतिदिन का वेतन मिलता था. बाद में उनको परमानेंट किया गया, जिसके बाद वे फोरमैन बने, जहां उनको 50 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता था. बाद में वे 1993 में टाटा स्टील (पहले नाम था टिस्को) के चेयरमैन बना दिये गये. उनकी मेहनत और उनकी इच्छा शक्ति ने उनको फोरमैन से चेयरमैन तक का सफर पूरा कराया. इसके बाद तो लोग जेआरडी टाटा को उत्तराधिकारी कहा जाने लगा था. जेआरडी टाटा रुसी मोदी पर काफी विश्वास करते थे. जेआरडी टाटा ने वर्ष 1984 में टाटा स्टील के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया ताकि रुसी मोदी उस पद पर बैठ सके. 1970 के दशक में रुसी मोदी के अलावा टाटा केमिकल्स के दरबारी सेठ, इंडियन होटल्स के अजीत केरकर टाटा समूह के साम्राज्य शक्तिशाली बन चुके थे, लेकिन रतन टाटा ने जैसे ही टाटा समूह की बागडोर संभाली, वैसे ही जेआरडी टाटा युग का अंत हो गया और सारे लोगों का पत्ता साफ होता चला गया. इसका रुसी मोदी ने विरोध किया. 1992 में भारत में आर्थिक बदलाव का दौर चल रहा था और टाटा स्टील वैश्विक चुनौती में थी. उसी चुनौती को निबटने की तैयारी की जा रही थी कि रुसी मोदी को 1992 में टाटा स्टील से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. रतन टाटा ने रुसी मोदी को बाहर का रास्ता दिखा दिया और अपने करीबी डॉ जेजे ईरानी को टाटा स्टील का एमडी बना दिया और रतन टाटा खुद चेयरमैन बन गये. इसके बाद टाटा बनाम रुसी मोदी की लड़ाई शुरू हो गयी. वे बिना प्रबंधन की कोई पढ़ाई किये बेहतर पढ़ाई के लिए जाने लगे. रुसी मोदी हमेशा कहते थे कि इनसान को कभी मशीन नहीं समझना चाहिए. उसे मशीन की तरह हांकना नहीं चाहिए. इंसान को इंसान की तरह ट्रीट किया जाये. इसी फंडा के कारण वे लोकप्रिय हो गये. (नीचे पढ़े रुसी मोदी के जीवन से जुड़ी कई जानकारियां)

जेआरडी टाटा के साथ मजाकिया लहजे में रुसी मोदी.

जमशेदपुर को जितना भी गिफ्ट या धरोहरें मिली, वह रुसी मोदी के कार्यकाल में ही मिली
जमशेदपुर को जितना नया गिफ्ट मिला या धरोहरें मिली, वह रुसी मोदी के कार्यकाल में ही मिली. रुसी मोदी के रहते हुए ही जेआरडी टाटा स्पोटर्स कांप्लेक्स बना, रुसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस, मोदी पार्क, एसएनटीआइ ऑडिटोरियम से लेकर तमाम सुविधाएं उनके ही कार्यकाल में पूरा हुआ. (नीचे पढ़े रुसी मोदी के जीवन से जुड़ी कई जानकारियां)

फुसर्त के क्षण में रूसी मोदी पियानो बजाना पसंद करते थे.

खुद जमशेदपुर से चुनाव लड़े, अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवाया, मोरारजी देसाई के खिलाफ सड़कों पर विरोध किया
कारपोरेट घराने सरकार के खिलाफ नहीं जाती है, लेकिन रुसी मोदी ने इस मिथक को 1979 में तोड़ा. जनता पार्टी की सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने टाटा स्टील का राष्ट्रीयकरण की धमकी दी तो रुसी मोदी ही कंपनी के मजबूतों के साथ जमशेदपुर के सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. उस समय कंपनी में भारत सरकार की 47 फीसदी की हिस्सेदारी होती थी. इसके बाद जब टाटा समूह से वे अलग हो गये तो उन्होंने वर्ष 1998 में आम चुनाव लड़े थे. निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भाजपा की आभा महतो को उन्होंने कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन फिर वे 97433 वोट से हार गये थे. (नीचे पढ़े रुसी मोदी के जीवन से जुड़ी कई जानकारियां)

बच्चों के साथ मस्ती करते रुसी मोदी.

समय के अंतिम वक्त हो गयी थी डॉ जेजे ईरानी से विवाद का निबटारा
रतन टाटा और डॉ जेजे ईरानी से अदावत की कहानियां रुसी मोदी की भरी हुई है. जमशेदपुर में रुसी मोदी को एक वक्त आ गया था कि उनको एक मकान तक नहीं मिल पा रहा था. तार कंपनी के मकान में रहने के कारण उसकी बिजली तक काट दी गयी थी. लेकिन बाद में चलकर डॉ जेजे ईरानी से जाकर खुद रुसी मोदी जमशेदपुर स्थित घर में मिलने के लिए चले गये थे. डॉ जेजे ईरानी से सारी अदावतों को भूलाकर उनके घर में जाकर खाना खाया था. इसके बाद रूसी मोदी का 2014 में उनकी कोलकाता में मौत हो गयी.

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading