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jamshedpur incab industries case : एनसीएलटी ने अपने फैसले को पलटा, इंकैब की जमीन को टाटा को लौटाने का आदेश रद्द, अब टाटा को लड़नी होगी दिवानी केस, जानें क्या है आदेश

जमशेदपुर : कोलकाता एनसीएलटी ने जमशेदपुर के गोलमुरी स्थित केबुल कंपनी (इंकैब इंडस्ट्रीज) मामले में अपने 7 फरवरी 2020 के आदेश में सुधार करते हुए कहा है कि जमीन का मामला एक सार्वजनिक कानून का मामला है. यह एनसीएलटी के क्षेत्राधिकार से बाहर का मसला है. अतः एनसीएलटी इस पर कोई आदेश पारित नहीं कर सकता हैं. एनसीएलटी ने आगे कहा कि इंकैब की 177 एकड़ जमीन अगर टाटा की लीज है और टाटा ने अगर इंकैब को लीज दिया है तो टाटा को जमशेदपुर के दीवानी अदालत में इंकैब से जमीन खाली करवाने के लिए दीवानी मामला दायर करना जाना चाहिए था और अपने हक में आदेश पारित करवाना चाहिए था. एनसीएलटी ने आगे कहा कि अगर ये जमीन इंकैब के नियंत्रण और दखल में है और टाटा के पास जमशेदपुर दीवानी अदालत का कोई आदेश भी नहीं है तो 177 एकड़ जमीन इंकैब टाटा को वापस नहीं करेगी. (नीचे भी पढ़े)

ज्ञातव्य है कि आरपी पंकज टिबरेवाल ने एनसीएलटी में एक फर्जी आवेदन लगाकर एनसीएलटी से प्रार्थना की थी कि टाटा को कहा जाये कि टाटा तथाकथित सबलीज का नवीनीकरण कर दे पर एनसीएलटी के आदेश ने टाटा के मंसूबों पर पानी फेर दिया. ज्ञातव्य यह भी है कि टाटा और इंकैब को जमीनें सरकारी अनुदान के रूप में 1919 और 1920 में मिली और टाटा ने इंकैब की जमीन को सबलीज बता रही है. (नीचे भी पढ़े)

ज्ञातव्य यह भी है कि एनसीएलटी ने अपने 7 फरवरी 2020 के आदेश में इंकैब की जमीन को टाटा की सबलीज बताया था और इंकैब का परिसमापन करने का आदेश पारित किया था. जमशेदपुर के मजदूरों की तरफ से उनके अधिवक्ता ने एनसीएलएटी में अपील दायर किया था और एनसीएलटी के 7 फरवरी 2020 के आदेश को रद्द करवाया था. एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो अपील पिटीशन दायर किये गये थे जिसमें मजदूरों के अधिवक्ता को सुनने के पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अपीलों को खारिज कर दिया था.

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