जमशेदपुर : जमशेदपुर लोकसभा सीट से झामुमो ने काफी देर से ही सही, लेकिन घोषणा कर दी गयी है. इसके तहत बहरागोड़ा के झामुमो विधायक समीर मोहंती को टिकट दिया गया है. इसके बाद इस टिकट के बंटवारा के बाद सबसे तगड़ा झटका झामुमो के कद्दावर नेता और झारखंड आंदोलनकारी आस्तिक महतो को लगा है, जो चुनाव को लेकर तैयारी कर रहे थे. लगातार दूसरी बार झामुमो ने उनको टिकट नहीं दिया. इससे पहले 2019 के चुनाव में आस्तिक महतो का टिकट कट गया था और वर्तमान मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन खुद चुनाव लड़ गये थे. हालांकि, चंपाई सोरेन को हार का मुंह देख़ना पड़ा. बाद में आजसू से आस्तिक महतो चुनाव लड़े. भाजपा के विद्युत वरण महतो फिर से चुनाव जीत गये. इस बार झामुमो में वापसी के बाद यह उम्मीद जतायी जा रही थी कि आस्तिक महतो को ही इस बार टिकट मिलेगा. लेकिन चंपाई सोरेन के सीएम रहते यह संभव पहले से ही नहीं लग रहा था. हुआ भी यहीं. आस्तिक महतो को टिकट नहीं दिया गया. अब सबकी निगाहें आस्तिक महतो पर टिकी हुई है कि आखिर वे क्या करते है. आस्तिक महतो क्या चुनाव में झामुमो को जीताने के लिए समीर मोहंती को मदद करते है या फिर खुद चुनाव लड़ने की घोषणा कर देते है. अंदरखाने इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आस्तिक महतो हर हाल में लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. (नीचे भी पढ़ें)
वे पिछले दो साल से लगातार फील्ड में थे और गांवों में प्रचार कर रहे थे. लोगों से मिल रहे थे. अभी अंतिम समय में उनका टिकट कट जाने से कार्यकर्ताओं में निराशा है. आस्तिक महतो ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की है. यह उम्मीद जतायी जा रही है कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते है. वे जयराम महतो की पार्टी जेबीकेएसएस का समर्थन लेंगे और भाजपा छोड़कर भाजमो बनाने वाले सरयू राय का भी समर्थन ले सकते है. भाजमो अब तक जमशेदपुर में अपना प्रत्याशी घोषित नहीं की है जबकि जेबीकेएसएस भी टिकट की घोषणा जमशेदपुर में नहीं की है. ऐसे में हो सकता है कि जेबीकेएसएस आस्तिक महतो को प्रत्याशी बनने का ऑफर दें और सरयू राय की पार्टी से समर्थन लेने का आग्रह किया. सूत्र बताते है कि कई बार जयराम महतो आस्तिक महतो से मिल चुके है. वे पहले से ही उनको ऑफर दे रहे थे, लेकिन अब उनके पास विकल्प कम है और चुनाव लड़ने और नहीं लड़ने पर फैसला ले सकते है.