जमशेदपुर : 8 मई को पूरी दुनिया विश्व रेड क्रॉस दिवस के रूप में मनाती है, यह दिन रेड क्रॉस सोसाइटी को समर्पित है जिसने पूरी दुनिया में मानवता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता, स्वंयसेवा, भेदभावरहित, एकता, वैश्विकता के सिद्धान्त को सामने रखकर एक तीसरी शान्तिरुपी शक्ति का परचम लहराया। रेड क्रॉस सोसाईटी की स्थापना विश्व इतिहास में एक बड़ी घटना थी, रेड क्रॉस की स्थापना के साथ ही पूरे विश्व में एक नयी शक्ति का उदय हुआ, जो किसी भी दो देशों के युद्ध में एक तीसरी निष्पक्ष शक्ति के रूप में सामने आयी, जो युद्ध के मैदान में घायल सैनिकों की सेवा, मृत सैनिकों के अंतिम संस्कार एवं युद्ध बंदियों के मानवीय अधिकारों के प्रति सजग, संकल्पित एवं सेवारत हुई। आज विश्व के 195 देश कहीं एकमत है तो वह है रेड क्रॉस के सिद्धान्त। पीड़ित मानवता की रक्षा के लिए इस सिद्धान्त का जन्म 1859 में सोल्फेरिनों के युद्ध स्थल में युवक जीन हेनरी ड्युनेंट के मन में हुआ, जिन्होने इम्पिरियल आर्मी ऑफ आस्ट्रिया तथा फ्रेन्कों सार्डिनियन एलांयस की सेनाओं के बीच हुए युद्ध के बाद रंक्तरंजित लगभग 40 हजार घायल एवं मृत् सैनिकों की दशा देखा, ड्युनेंट उस समय अपने व्यापार के सिलसिले में नेपोलियन तृतीय से बातचीत करने हेतु जा रहे थे। युद्ध पश्चात के इस दृश्य को देखकर उन्होने अपना सारा कामकाज भुला दिया और सबसे पहले घायल सैनिकों की सेवा में बिना किसी भेदभाव के लगे और आस पास के गांव के लोगों को भी घायलों की मदद के लिए प्रेरित किया। घायलों की सेवा के बाद उन्होंने युद्ध में वीरगति को प्राप्त सैनिकों के शव के अंतिम संस्कार का निर्णय लिया। (नीचे भी पढ़ें)
इन सारे कार्यों के लिए उन्होने अपने व्यापार के सारे पैसे खर्च डाले। वहां से वापस आने के बाद ड्युनेंट के मन में युद्ध के बाद का वह दृश्य एक बड़ा प्रश्न बनकर सामने खड़ा था, जिसका जवाब उनके पास नहीं था। उन्होने इस घटना को 1862 में एक किताब का रूप दिया और जिसका नाम था ‘ए मेमोरी ऑफ सोल्फेरिनो’ जिस किताब में उन्होने न सिर्फ युद्ध के बाद घायल एवं मृत सैनिकों की स्थिति के सम्बन्ध में लिखा बल्कि दो देशों के लिए लड़ रहे सैनिकों की स्थिति का भी वर्णन किया कि एक सैनिक जो अपने देश के मान सम्मान के लिए लड़ता है, क्या? युद्ध स्थल में घायल होने, वीरगति प्राप्त होने या दुश्मन देशों के हांथों पकड़े जाने पर उसके मान सम्मान का कोई ख्याल रखता है। इसी पुस्तक में उन्होंने एक ऐसी तीसरी शक्ति के गठन का सुझाव दिया जो कि बिना किसी भेदभाव के निष्पक्षता के साथ युद्ध स्थल के घायल सैनिकों की सेवा कर सके और मृतकों का अंतिम संस्कार तथा युद्ध बंदियों को उनका मानवीय अधिकार दिला सके। (नीचे भी पढ़ें)
जिन हेनरी ड्युनेंट, जिन्होने अपने प्रयास से विश्व में एक ऐसी संस्था का गठन किया जो आज करोड़ों लोगों की जीवन रेखा है। 8 मई 1828 को जन्मे जीन हेनरी ड्युनेंट के जन्म दिवस 8 मई को रेड क्रॉस दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज रेड क्रॉस के पूरी दूनिया में 12 करोड़ कार्यकर्ता है जो पीड़ित मानवता की सेवा में जुड़े हैं। विश्व स्तरीय रेड क्रॉस सोसाइटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रेड क्रॉस सोसाईटी, पूर्वी सिंहभूम है, जो अपने कार्यकर्ताओं, रक्तदाताओं एवं समाज के उदार हृदय वाले लोगों के कारण पूरे देश में एक विशिष्ट पहचान रखता है। रेड क्रॉस सोसाइटी की एक पहचान विश्व में सर्वाधिक ब्लड बैंकों के संचालन एवं रक्तदान जागरुकता को लेकर भी है। रेड क्रॉस सोसाइटी रक्तदान अभियान का पर्याय भी है। आज रेड क्रॉस के लगभग सभी सक्षम कार्यकर्ता रक्तदान करते हैं, इसी कड़ी में रेड क्रॉस सोसाइटी, पूर्वी सिंहभूम की शाखा रक्तदान अभियान को नियमित रूप से चलाती है। हर वर्ष रेड क्रॉस सोसाइटी अप्रैल-मई-जून की चिलचिलाती गर्मी में रक्त की जरूरत को एक चुनौती मानकर रक्तदान अभियान के माध्यम से जरूरतमंदों के लिए रक्त उपलब्धता को और सुगम बनाने का प्रयास करती है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है। (नीचे भी पढ़ें)
गर्मी में जब अधिकांश संस्थाएं मौसम की मार के कारण रक्तदान से मुंह मोड़ लेती है, वैसे में रेड क्रॉस अप्रैल से जून तक दो हजार से अधिक यूनिट रक्तदान अपने सदस्यों व रक्तदाताओं की मदद से उपलब्ध करा जरुरतमंद लोगों के जीवन को बचाने का प्रयास करता है। इस रक्तदान के कारण बीते कई वर्षों से पूरी गर्मी भर लोगों को आसानी से रक्त उपलब्ध हो पाया है, यहां तक कि कोविड-19 के भयंकर समय में जब एक भी व्यक्ति को घर से निकलने की छूट नहीं थी, ऐसे में रेड क्रॉस सोसाइटी के रक्तदाताओं एवं भोलेंटियर ने अप्रैल से मई 2020 के बीच 1500 यूनिट रक्तदान कर अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन किया ताकि हर जरूरतमंद को समय पर रक्त मिल सके। इसी दौरान दूसरे लहर में वर्ष 2021 में जिला प्रशासन के साथ मिलकर रेड क्रॉस सोसाइटी ने ऐतिहासिक कोनवोल्सेन्ट प्लाज्मा डोनेशन की कीर्तिमान स्थापित किया जिससे 1200 कोविड मरीजों को कान्वालसेन्ट प्लाज्मा दिया जा सका। इस दौरान रक्तदान शिविर में 2000 यूनिट रक्त संग्रह किया गया। (नीचे भी पढ़ें)
यह वर्ष शहर के वैसे युवाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्होने इस वर्ष 1 जनवरी 2022 को अपना 18 वर्ष पूरा कर लिया है, अब आप अपना निर्णय ले सकते हैं, अब आप रक्तदान और मतदान दोनों कर सकते हैं, ये दोनों ही कार्य जिम्मेवारी भरा है, रक्तदान करने से जहां आप दूसरों को जीवन देने का एक महान काम अपने इस नव युवावस्था से शुरु करेंगे, वहीं इस जिला में त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन (आम) के लिए आयोजित मतदान में अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने लिए अपनी आकांक्षा के ऐसे प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकेंगे, जो आपके निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में उत्थान के महत्वपूर्ण कार्य कर सकें। 8 मई को फर्स्ट टाईम ब्लड डोनेशन तथा अपने निर्वाचन क्षेत्र के निर्धारित तिथि को फर्स्ट टाईम वोटिंग, दोनों का आनंद, जिम्मेवारी पूर्वक आप इस वर्ष उठा सकते हैं और अपने युवावस्था की एक अच्छी शुरुआत कर सकते हैं। (नीचे भी पढ़ें)
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस दिवस के लिए थीम #BeHumanKIND है जो कि बहुत ही प्रासंगिक है, वर्तमान समय में विश्व के कई देशों में युद्ध की स्थिति को देखकर यही लगता है कि आज मानवता के लिए दया होना आवश्यक है। मानवता के लिए समर्पण का एक भाव रक्तदान भी है, जो कि दया भाव से भरा हुआ है। 8 मई इस वर्ष मदर्स डे के रूप में चिन्हित है, चुकि ऐसा कोई दिन नहीं जब हम मां को याद नहीं करते फिर भी यह दिन विश्व रेड क्रॉस दिवस के साथ साथ उस मां को भी समर्पित हैं, जिन्होंने हमें अपने रक्त से सींचकर इस दुनिया में लाया। हमारा प्रयास होना चाहिए कि खून के अभाव में कोई भी मां खून के आंसू न रोए, हर मां के बच्चों को जरुरत के समय रक्त उपलब्ध हो पायें, तभी हम दुनिया की तमाम माताओं को सच्चे रूप में नमन कर सकेंगे। आईये हम सब साथ मिलकर यह संकल्प लें कि 8 मई 2022 रविवार को डीसी ऑफिस रोड स्थित रेड क्रॉस भवन में इस ऐतिहासिक दिन रक्तदान कर हर जरूरतमंदों को समय पर रक्त उपलब्ध करायेंगे ताकि माताओं को खून के आंसू न रोना पड़े।
पीड़ित मानवता की सेवा के लिए करें रक्तदान, गांव की सरकार बनाने के लिए करें मतदान।
विजया जाधव, आईएएस
उपायुक्त सह अध्यक्ष
रेड क्रॉस सोसाइटी, पूर्वी सिंहभूम
रेड क्रॉस सोसाइटी, पूर्वी सिंहभूम द्वारा जारी