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jharkhand-highcourt-झारखंड हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज और शेल कंपनियों को लेकर देश के बड़े-बड़े वकीलों ने की बहस, फिर से गुरुवार को होगी सुनवाई, सीबीआई की जांच को लेकर हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की, 16 एफआइआर का डिटेल कोर्ट में तलब, इडी ने जांच रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपा, जानें क्या हुई सुनवाई में

रांची : झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज और शेल कंपनी के मामले की सुनवाई हुई है. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में वर्चुअल सुनवाई हुई. इसको लेकर अगली सुनवाई गुरुवार को दोबारा होगी. वर्चुअल तरीके से ही यह सुनवाई होगी. इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की ओर से सोलिसिटर जेनरल तुषार मेहता कोर्ट में हाजिर हुए. इस मामले में झारखंड सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और कांग्रेस नेता सह वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने रखा. सुनवाई के दौरान रांची के डीसी छवि रंजन भी उपस्थित हुए थे. इस दौरान सोलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में आइएएस पूजा सिंघल के मामले की जांच से संबंधित रिपोर्ट पेश की. इसके अलावा शेल कंपनियों से संबंधित कई जानकारी भी उपलब्ध करायी गयी है. याचिकाकर्ता अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि इस मामले की सीबीआइ जांच की जानी चाहिए. इस दौरान शेल कंपनियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी रखी गयी, जिसके बाद इडी की ओर से सोलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि वर्ष 2010 में 16 एफआइआर दर्ज हुए थे. इसके बाद इडी ने अपनी जांच में पाया कि कई कंपनियां सीधे पूजा सिंघल के संपर्क में थे. रिश्वत की रकम सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंचती थी. रिश्वत के पैसों को शेल कंपनी के माध्यम से मनी लाइंड्रिंग की जाती थी. मनी लांड्रिंग में शामिल कंपनियों के नाम दाखिल किये गये है. इडी को सारी 16 एफआइआर की रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील से पूछा गया कि इस मामले की जांच सीबीआइ को क्यों दिया जाये जबकि इस मामले में अब तक किसी तरह का कोई एफआइआर तक नहीं हुआ है. इस पर अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि मामले में सीबीआइ की जांच होनी ही चाहिए. सीबीआइ की जांच जरूरी है ताकि इतने बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके. सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार ने बताया कि सुनवाई काफी अच्छी रही है. लिहाजा, अब सीबीआइ जांच की ओर पूरा मामला जा रही है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भविष्य का फैसला होगा
इस मामले पर सबसे अधिक नजर रखी जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज के साथ साथ शेल कंपनियों की भी जांच से संबंधित मामले की सुनवाई चल रही है. इसको लेकर पूरे देश की नजरें टिकी हुई है. इस मामले में डबल ऑफिस ऑफ प्रोफिट चलाने का आरोप है. इस कारण मुख्यमंत्री पर ही सवाल है. इसको लेकर एक याचिका शिवशंकर शर्मा नामक व्यक्ति द्वारा दायर किया गया है, जिसके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार पैरवी कर रहे है.

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