लातेहार : नेतरहाट लातेहार में चल रहे प्रथम राष्ट्रीय आदिवासी एवं लोक चित्रकारों के शिविर में जहां दिन में देशभर से आए चित्रकार अपने राज्य के लोक चित्रकारी की छटा बिखेर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शाम में लोक कलाकारों के द्वारा लोक नृत्य कर लोगों को झारखण्ड के संस्कृति से अवगत कराया जा रहा है। 10 से 15 फरवरी 2020 तक चलने वाले राष्ट्रीय आदिवासी एवम लोक चित्रकारी के शिविर सरायकेला से आये में तपन कुमार पटनायक के अगुवाई में छऊ नृत्य प्रस्तुत किया गया।
बताते चलें कि श्री पटनायक न केवल सरायकेला बल्कि खरसावां एवं मानभूम शैली छाऊ नृत्य के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे राजकीय कला केंद्र सरायकेला के निदेशक के साथ साथ सिल्ली छऊ नृत्य अकादमी के सचिव भी हैं। सरायकेला छऊ महोत्सव को राजकीय महोत्सव घोषित कराने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कला के प्रति समर्पण एवं योगदान के कारण श्री तपन पटनायक को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने छऊ नृत्य कला को कोल्हान यूनिवर्सिटी के सिलेबस में शामिल करने एवं महिलाओं को सरायकेला छऊ नृत्य कला में लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
छऊ नृत्य के विशेषताओं की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में मौजूद लोगों को श्री तपन पटनायक ने बताया कि छऊ नृत्य का आगमन हमारे झारखंड के सरायकेला जिले से ही हुआ है। झारखंड के अलावा बंगाल के पुरुलिआ जिले मे छऊ नृत्य को धूम-धाम से मनाया जाता है।साथ ही ओड़ीसा के मयूरभञ्ज जिले मे भी छऊ नृत्य का खास महत्व है। उन्होंने बताया कि इस नृत्य का कई क्षेत्र त्योहारों में मुख्य रूप से प्रदर्शित किया जाता है।
नेतरहाट का प्रभात विहार पैलेस छऊ नृत्य से रहा गुलजार
सिल्ली छऊ नृत्य अकादमी के सचिव सह राजकीय कला केंद्र सरायकेला के निदेशक श्री पटनायक के नेतृत्व में पहुंचे लोक कलाकारों की टीम द्वारा मनमोहक छऊ नृत्य प्रस्तुत किया गया।इस दौरान कलाकारों द्वारा लोक एवं परंपरागत संगीत के धुन को प्रस्तुत किया गया। मांदर की थाप पर नृत्य करती महिलाएं विभिन्न राज्यों से पहुंचे चित्रकारों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही। वहां मौजूद दर्शकों की आंखें स्टेज पर टिकी दिखी।इस शिविर में विभिन्न राज्यों से पहुंचे चित्रकार छऊ नृत्य के बारे में चर्चा करते नजर आये।