सरायकेला : इस साल समय से पहले गर्मी पड़ने लगी है. वहीं पहाड़ों और जंगलों में आग भी लगने का सिलसिला शुरू हो चुका है. वैसे मार्च से मई तक हर साल जंगल में आग से जंगली जानवरों के अलावा इमारती लकड़ियां भी जलकर खाक हो जाती हैं. इस साल लगातार झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला के चांडिल और खरसावां इलाके के जंगलों में अगलगी की घटनाएं हो रही है. साथ ही दलमा अभ्यारण्य में भी आग से पशु-पक्षी और पेड़ झुलस रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. सरायकेला वन प्रमंडल पदाधिकारी आदित्य नारायण बताते हैं कि जंगलों में आग की सेटेलाइट से मॉनिटरिंग की जा रही है और उन्हें सूचना मिलते ही दमकल विभाग के सहयोग से आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं इसके लिए उन्होंने कई कारण गिनाए. (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने बताया कि कुछ लोग अज्ञानता वश सिगरेट या बीड़ी पी कर जंगलों में या सड़क के किनारे फेंक देते हैं जो धीरे-धीरे फैलकर आग में तब्दील हो जाता है. इसके अलावा जंगलों से सटे ग्रामीण इलाकों के लोग भी अज्ञानता वश ऐसी गलती कर देते हैं. वहीं कुछ शिकारी तीन तरफ से जंगलों में आग लगाकर एक तरफ घात लगाए बैठे रहते हैं और जानवरों के निकलने पर उनका शिकार करते हैं. डीएफओ ने जंगलों से सटे सीमावर्ती गांवों में जागरूकता अभियान चलाने की बात कही. वहीं उन्होंने बताया, कि कई ऐसे दुर्गम इलाके भी होते हैं, जहां दमकल की गाड़ियां नहीं पहुंच पाती हैं, वहां ग्रामीण भी आग बुझाने में वन विभाग के कर्मचारियों का सहयोग करते हैं. इसके लिए उन्होंने टास्क फोर्स गठित किए जाने की बात कही है, ताकि आग पर तत्काल काबू पाया जा सके. वैसे इस साल जंगलों में आग की कई घटनाएं सामने आई है.