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railway-traffic-restored-पश्चिम बंगाल के खेमाशुली और कौस्तूर स्टेशन का रेलवे ट्रैक कराया गया मुक्त, सामान्य हुआ रेलवे का परिचालन, 5 दिनों में 1000 करोड़ का सीधे नुकसान, पांच लाख यात्री रहे परेशान, कौन लेगा जिम्मेदारी, जानें कब तक सामान्य होगी ट्रेनों का परिचालन

जमशेदपुर : पश्चिम बंगाल के खेमाशुली स्टेशन और कौस्तूर रेलवे स्टेशन के पास पांच दिनों से चला आ रहा आंदोलन रविवार की अहले सुबह समाप्त हो गयी. शनिवार को ही यह आंदोलन समाप्त हो चुकी थी. लेकिन अंतिम समय में कुड़मी समाज के एक गुट ने फिर से आंदोलन शुरू कर दिया, जिसके बाद रेलवे यातायात एक बार फिर से बाधित हो गयी. इसके बाद फिर से रेलवे और बंगाल सरकार की ओर से वार्ता की गयी. सुबह करीब 5 बजे के बाद आंदोलनकारी सुदीप कुमार राय महतो ने आंदोलन को वापस लेने की घोषणा कर दी. इसके बाद रेलवे ने राहत की सांस ली और एक बार फिर से सेफ्टी की ऑडिट करने के बाद सभी ट्रेनों का परिचालन एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है. उस क्षेत्र से पहली ट्रेन रविवार को रवाना किया गया. इसके बाद से अब नये सिरे से ट्रेनों का परिचालन शुरू करने को लेकर कवायद चल रही है. रविवार को लगभग अधिकांश ट्रेनें शुरू कर दी जायेगी और बची हुई ट्रेनों का परिचालन सोमवार से सामान्य तौर पर शुरू कर दिया जायेगा. रविवार को उस ट्रैक पर पहली ट्रेन मेमु कौस्तूर से खड़गपुर ट्रेन को चलाया गया. इसी तरह खेमाशुली स्टेशन से भी ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया गया. इस तरह अब बंगाल, ओड़िशा, बिहार और झारखंड से होकर गुजरने वाली देश भर के ट्रेनों का परिचालन एक बार फिर से शुरू हो गया है.
कुड़मी समाज ने कहा-मांगे पूरी नहीं हुई तो फिर ट्रैक जाम करेंगे
कुड़मी समाज के लोगों ने शनिवार को ही यह कह दिया था कि वे लोग दुर्गा पूजा के कारण अभी आंदोलन समाप्त कर रहे है. दुर्गा पूजा के बाद अगर कुड़मी समाज को आदिवासी की सूची में शामिल नहीं किया गया तो वे लोग आंदोलन को तेज करेंगे. फिर से रेलवे ट्रैक को जाम करेंगे. आपको बता दें कि टोटेमिक कुड़मी समाज के लोग रेलवे रोको आंदोलन चलाये थे. पांच दिनों से रेलवे ट्रैक जाम होने के कारण रेल यातायात बाधित हो चुकी थी.
1000 ट्रेनों का परिचालन प्रभावित, करोड़ों का नुकसान
अब तक के मिले आंकड़ों के मुताबिक, 1000 ट्रेनों का परिचालन सीधे तौर पर पांच दिनों में प्रभावित हुई है. दक्षिण पूर्व रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक, हर दिन करीब 200 ट्रेनों को रद्द किया गया. पांच दिनों यानी करीब 122 घंटे में करीब एक हजार ट्रेनें रद्द हुई. पांच लाख से ज्यादा यात्री इस आंदोलन से प्रभावित हुए. हर दिन का करीब एक हजार करोड़ का नुकसान रेलवे और सरकार को हुआ. कई कंपनियों का माल ढुलाई बाधित हुआ. इसके अलावा यात्री की समस्या अलग ही रही. रेलवे को आर्थिक नुकसान तो हुआ ही, लेकिन जनता परेशान रही. ऐसी परेशानियों को रोकने के लिए सरकारों को ठोस उपाय करने की जरूरत है.

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