रामगोपाल जेना / चक्रधरपुर : बंदगांव प्रखंड के जनजाति समुदाय ने परंपरानुसार हर्षोल्लास के साथ सरहुल पर्व मनाया गया. इस मौके पर आदिवासियों ने सामूहिक नृत्य कर आदिवासी परम्परा का जीवंत उदाहरण पेश किया. बंदगांव प्रखंड के लुम्बई के सरना स्थल पर प्रकृति पूजा के बाद सरहुल की शोभायात्रा शुरू हुई. शोभा यात्रा ढोल नगाड़ा के साथ शुरू किया गया. शोभा यात्रा रांची-चाईबासा मुख्य पथ होते हुए बिरसा हाईस्कूल मैदान पहुंची. यहां पुजारी द्वारा पूजा-अर्चना की गई. घर-परिवार में शांति, मवेशियों के निरोग रहने व आपसी भाईचारे की कामना के साथ सरहुल के अवसर पर सिंगबोंगा की पूजा-अर्चना की गई. दिशुम गुरुजी आशिर्वाद योजना के अध्यक्ष सन्नी उरांव, पीपुल्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव विजय सिंह गागराई, विवेक सिंह विक्की, दोराय जोंको मुख्य रूप से शामिल थे. इस मौके पर सन्नी उरांव ने कहा कि यहां के आदिवासी परम्परानुसार सैकड़ों वर्षो से सरहुल मनाते रहे हैं. सरहुल के अवसर पर हजारों लोगों का एक जगह आपसी मतभेद को भुलाकर एकत्र होना सराहनीय है. हमें आपसी मतभेद को भुलाकर अपनी एकजुटता को कायम रखना होगा. (नीचे भी पढ़ें)
डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि सरहुल पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ बहुत प्यारा त्योहार है. यह त्योहार सौ वर्षों से जनजातियों द्वारा मनाया जा रहा है और आज भी बरकरार है. उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के लोग लाखों वर्षों से निवास करते आ रहे हैं. सरहुल पर्व मानव प्रकृति का पराम्परागत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते आ रहे हैं. हमारे जनजातीय समुदाय के लोग प्राकृतिक पूजा पाठ को संयोजते हुये आ रहे हैं. इसलिए आज के नये युवा पीढ़ी के लोग बरकरार बनाये रखें. उन्होंने कहा कि सरहुल पर्व प्रकृति में अपने जीवन का एक सौंदर्य पूर्ण संबंधों को समेटे हुए एक नये साल की शुरुआत करता है. उन्होंने पूरे जिला वासियों को सरहुल पर्व की ढेरों सारी शुभकामनाएं और बधाई दी. सरहुल के अवसर पर पूरा बंदगांव क्षेत्र सरहुल के झण्डे से पट गया था. सरहुल के मौके पर वृद्ध, जवान, बच्चे व महिलाएं सभी मांदर की थाप पर थिरकते नजर आए. सरहुल के मौके पर एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर लोगों ने बधाई दी. इस अवसर पर मुख्य रूप से चरण मुंडरी, राजेंद्र मछुआ, लाल सिंह भूमिज, करमू हेम्ब्रम, अभिनाश हेम्ब्रम, दुर्गा मुंडू, नंदराम हेम्ब्रम, मेरी मुंडू, आश्रिता मुंडरी, शंकर नायक, अरूप चटर्जी समेत अन्य लोग उपस्थित थे.