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रांची : झारखंड के राजधानी रांची में राज्यपाल को इस्तीफा देने के बाद सरयू राय के इस्तीफा को झारखंड विधानसभा ने भी नामंजूर कर दिया है. इसके संबंध में नियमों का हवाला दिया गया है और कहा गया कि यह इस्तीफा फैक्स के माध्यम से दिया गया है, इस कारण इस्तीफा मंजूर नहीं किया जा सकता है. दूसरी ओर, पूर्व मंत्री सरयू राय ने संवाददाता सम्मेलन की. श्री राय ने यहां भाजपा और खासकर मुख्यमंत्री रघुवर दास पर हमला बोला. सरयू राय द्वारा रांची के सिदरौली में जमीन हड़पने का अखबारों में खबर प्रकाशित होने के मामले में कहा कि चुनाव खत्म होने के बाद महिला आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर इस मामले में कार्रवाई शुरू की है जबकि वर्ष 2001 में जमीन की खरीददारी हुई थी. उन्होंने बताया कि महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण के खिलाफ उनके चुनाव एजेंट ने शिकायत की है कि वे गरिमामय पद पर रहते हुए पार्टी का चुनाव प्रचार किया. इसको लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास के इशारे पर कल्याणी शरण अपने पद का बेजां इस्तेमाल कर रही है.
उन्होंने कहा कि अगर जमीन सही में किसी का हड़प कर रखा है तो पहले से वो महिला कहाँ थी. आज जब मैं मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ा तो आज ही क्यों वो महिला आयोग में शिकायत की है, और रही बात जमीन हड़पने की तो महिला आयोग कब से जमीन हड़पने या जमीनी मामलें में इंटरफेयर करने लगी, वो महिलाओं से जुड़े मामलें में अर्ध न्यायिक संस्थान है, और अर्ध न्यायिक संस्था होने के नाते ऐसा नही है कि किसी भी मामलें में इंटरफेयर कर दे. महिला आयोग की अध्यक्ष न्यायिक पद पर रहते हुए भी मेरे खिलाफ एवम भाजपा के उम्मीदवार मुख्यमंत्री रघुवर दास के पक्ष में चुनाव प्रचार किया है. मैंने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी किया है.
आखिर अर्ध न्यायिक पद पर रहते हुए कोई कैसे राजनीतिक दल या व्यक्ति के लिए चुनाव प्रचार कर सकता है. कल्याणी शरण को इस्तीफा दे देना चाहिए. मेरे पास अगर महिला आयोग से कोई कागजात या समन आता है तो मैं उसे कोर्ट में चुनौती दूंगा. आखिर कैसे जमीन के मामलें में महिला आयोग इंटरफेयर कर रही है. उन्होंने कहा कि झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमन सोरेन ने मुझे चुनाव लड़ने में अपना समर्थन दिया था इसलिए उनके पक्ष में चुनाव प्रचार में जाऊंगा, जहाँ से भी बुलावा आएगा, वे जाएंगे, लेकिन निर्दलीय ही रहेंगे. भ्रष्टाचार और पर्यावरण को लेकर उनकी लड़ाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि उनको पार्टी से निकालने की बात कहीं गयी जबकि राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य के तौर पर वे पदस्थापित थे और उनको हटाने का अधिकार अमित शाह को है न की झारखंड भाजपा को यह अधिकार है.
वैसे वे निर्दलीय चुनाव लड़कर पहले ही घोषित थी कि वे भाजपा में नहीं रहेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वे जरमुंडी में सीताराम पाठक का चुनाव प्रचार करने के लिए जायेंगे. उन्होंने कहा कि 65 पार का नारा फेल है और 15 सीट आ जाये तो बहुत है.