रांची : झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 18 सितंबर से शुरु होगा, इससे पूर्व सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों उपचुनाव की तैयारियों में जुट गयी है. इसको लेकर सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव बेरमो के दौरे पर है जबकि दुमका में खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झामुमो के लिए फील्ड तैयार करने के लिए निकल गये है. बताया जाता है कि बिहार के चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही बेरमो और दुमका विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हो सकता है. दुमका से पहले हेमंत सोरेन ने चुनाव जीता था, जहां से उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद से यह सीट खाली हो गयी. वर्तमान में हेमंत सोरेन बरहेट विधानसभा से विधायक है. वे बीते विधानसभा चुनाव में बरहेट और दुमका से चुनाव लड़े थे, जिसके बाद वे दोनों सीट से विजयी हासिल की थी. इस कारण उन्होंने बरहेट के सीट पर अपने को विधायक बनाये रखा जबकि दुमका से उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया. इसके अलावा बेरमो सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता, पूर्व मंत्री और इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री राजेंद्र सिंह ने चुनाव जीता था, लेकिन बीच में ही उनकी मौत हो गयी, जिसके बाद से यह सीट खाली हो गया, जिसके लिए उपचुनाव होना है.
बेरमो में कांग्रेस दुविधा में, राजेंद्र बाबू के दोनों बेटे ने कर दी है टिकट की दावेदारी, फैमिली ड्रामा में फंसी कांग्रेस
इसको लेकर झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव बेरमो के दो दिवसीय दौरे पर है. डॉ रामेश्वर उरांव बेरमो में कार्यकर्ताओं से मिले और उनसे रायशुमारी ली. बेरमो सीट के लिए ”फैमिली ड्रामा” चल रहा है. बेरमो सीट के लिए स्वर्गीय राजेंद्र सिंह के दोनों लड़के जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह और कुमार गौरव टिकट पाने के लिए एड़ी चोटी एक किए हुए है. आखिर किसे राजेंद्र सिंह का उत्तराधिकारी समझ कर टिकट देती है यह फैसला करना कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है. वैसे तो आलाकमान के फैसले के ऊपर निर्भर करता है कि इन दोनों में से किसी एक को टिकट देता है या फिर किसी तीसरे को टिकट दे देता है. अगर आम सहमति नहीं बनती है तो बेरमो सीट पर कांग्रेस किसी तीसरे व्यक्ति को टिकट दे देगा, ऐसे में कांग्रेस को यहां नुकसान उठाना पड़ सकता है और सीटिंग सीट पर चुनाव हार भी सकती है. इसके लिए कांग्रेस के प्रदेशस्तरीय नेता समन्वय बनाने की कोशिश भी कर रहे है कि दोनों भाइयों में किसी एक को बेरमो सीट आम सहमति से टिकट दिया जाए और राजेंद्र बाबू के अधूरे सपनों को साकार किया जा सके. बेरमो सीट पर भाजपा भी इस बार पूरी जोर लगा रही है. किसी तरह इस सीट पर कब्जा किया जा सके, इसके लिए भाजपा वर्चुअल सम्मेलन कर रही है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को संगठन में जोड़ने का प्रयास भी कर रही है. कही भाजपा कांग्रेस के फैमिली ड्रामा का फायदा नही उठा ले, इससे भी काग्रेस को सर्तक रहना होगा.
बेरमो विधानसभा सीट में कैसे हुई थी कांग्रेस के राजेंद्र सिंह की जीत
विधानसभा चुनाव 2019 में बेरमो की सीट से राजेंद्र सिंह ने जीत हासिल की थी. इस सीट से कई बार राजेंद्र प्रसाद सिंह चुनाव जीतते रहे है. 2019 के चुनाव में कुल 21 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. इसमें पांच दलों को ही पांच हजार से अधिक वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के राजेंद्र सिंह को 88945 वोट मिला था जबकि उनके निकटतम प्रत्याशी भाजपा के उम्मीदवार योगेश्वर महतो को 63773 वोट मिला था. राजेंद्र सिंह यहां 25172 वोट से चुनाव जीते थे. राजेंद्र बाबू को कुल 46.88 फीसदी वोट मिला था जबकि भाजपा को कुल 33.61 फीसदी वोट मिला था. तीसरे स्थान पर वहां आजसू थी, जिनके उम्मीदवार काशीनाथ सिंह थे, जिनको कुल 16534 वोट मिले थे जबकि सीपीआइ के आफताब आलम खान को 5695 वोट मिले थे, जो चौथे नंबर पर थे. इसके बाद सारे उम्मीदवार को दो हजार से कम वोट मिले थे.
दुमका में मुख्यमंत्री के समक्ष मुश्किलें, भाजपा भी पशोपेश में
इसी तरह दुमका सीट को लेकर झामुमो में भी फैमिली ड्रामा चल रहा है. जामा से झामुमो की विधायक और झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहु (स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की पत्नी) सीता सोरेन भी अपनी बेटी को दुमका सीट से चुनाव लड़वाना चाह रही है, जबकि सीएम हेमंत सोरेन अपने एक और भाई बसंत सोरेन या फिर अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाना चाह रहे है. इसी को लेकर मुख्यमंत्री फिलहाल दुमका के दौरे पर है और दुमका के उपचुनाव को लेकर अपनी तैयारी कर रहे है. दुमका में सीएम ने कई योजनाओं का शिलान्यास किया. दुमका संताल बहुल इलाका है. यहां पर दिशोम गुरुजी शिबू सोरेन के नाम से वोट मिलता है. लेकिन लोकसभा चुनाव में दुमका में झामुमो को हार का मुंह देखना पड़ा था. इसके बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और रघुवर सरकार में मंत्री रही लुइस मरांडी को हार का मुंह देना पड़ा था और यहां से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव जीता था. हेमंत सोरेन बरहेट विधानसभा से भी चुनाव लड़े थे और दोनों ही सीट से हेमंत सोरेन ने जीत दर्ज की थी. लिहाजा, उन्होंने अपने पैतृक विधानसभा सीट दुमका को छोड़ दिया और बरहेट के विधायक के तौर पर अभी मुख्यमंत्री के पद पर आसीन है. ऐसे में हेमंत सोरेन ने सोचा कि दुमका का सीट सुरक्षित है, जहां से वे किसी को भी चुनाव लड़ाकर जीतवा सकते है, लेकिन बरहेट से वे पहली बार चुनाव जीते थे, इस कारण उस सीट पर वे विधायक बने हुए है. इसके बाद ही उपचुनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है. दुमका से भाजपा चुनाव लड़ने की तैयारी में है, लेकिन वहां प्रत्याशी कौन होगा, यह देखने वाली बात होगी. यहां से भाजपा की लुइस मरांटी को टिकट दिलाने के लिए रघुवर दास कोशिश करेंगे क्योंकि उनके नजदीकी मानी जाती है जबकि बाबूलाल मरांडी को भी वहां से चुनाव लड़ाकर भाजपा उनकी जीत सुनिश्चित कराना चाहेंगे. हालांकि, इतना बड़ा रिस्क भाजपा लेगी, इसको लेकर संशय की स्थिति है. अंतत: लुइस मरांडी ही प्रबल दावेदार मानी जा रही है. इसके लिए भाजपा के अदंर विचार विमर्श किया जा रहा है. विधायक सीता सोरेन की सक्रियता से झामुमो के आला अधिकारी बैकफुट आ गए है. इस मामले में सीएम क्या रुख अपनाते है, इस पर भी सबकी निगाहें है. सीता सोरेन का कहना है कि मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन ने पार्टी हित बहुत काम किए, उनके कार्यो को भुलाया नही जा सकता. उन्होंने यह भी कह दिया है कि उनकी बेटियां बड़ी हो गयी है और समझ राजनीति की रख रही है, जिससे साफ हो गया है कि वे दुमका से अपनी बेटी को चुनाव लड़ा सकती है. वैसे यह लगभग तय है कि बेरमो से कांग्रेस और दुमका से झामुमो चुनाव मिलकर ही लड़ेगी.
दुमका में हेमंत सोरेन ने दी थी मंत्री रही लुइस मरांडी को पटखनी
दुमका सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जीत हासिल की थी. हेमंत सोरेन ने रघुवर सरकार में मंत्री लुइस मरांडी को चुनाव में हराया था. दुमका सीट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 45.86 फीसदी वोट मिला था जबकि दूसरे स्थान पर रही लुइस मरांडी को कुल 40.91 फीसदी वोट मिला था. झाविमो के उम्मीदवार को 3156 वोट जबकि जनता दल के मार्शल टुडू को 2357 वोट मिले थे. दुमका से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जिसमें से 12 उम्मीदवार की जमानत ही जब्त हो गयी थी. यहां चुनाव में हेमंत सोरेन को कुल 81007 वोट मिले थे जबकि भाजपा की लुइस मरांडी को कुल 67819 वोट मिले थे. हेमंत सोरेन ने यहां मंत्री रही लुइस मरांडी को 13188 मत से पराजित किया था.