जमशेदपुर : देश में फुटबॉल को एक नया आयाम देने वाले टाटा फुटबॉल एकेडमी (टीएफए) 17 जनवरी 1987 को हुआ था. करीब 35 साल पहले आज ही के दिन भारतीय इतिहास में एक ऐसा अध्याय लिखा गया था, जिसकी परिकल्पना किसी भी भारतीय कंपनी ने नहीं की थी. टाटा स्टील के चेयरमैन सह एमडी रुसी मोदी के मस्तिष्क की यह पैदाईश थी, जो आज देश में एक अलग स्थान बना चुका है. ओलंपिक खिलाड़ी सैलेन मन्ना, शिव मेवालाल, रुनू गुहा ठाकुरता, प्रदीप कुमार बनर्जी, एमएस मणि और चूनी गोस्वामी (सलाहकार, टाटा स्टील स्पोर्टस) जैसे लोग उस वक्त इसके उदघाटन के गवाह थे. पहली बार जब इसकी स्थापना हुई तो 20 कैडेट का चयन किया गया. उस वक्त इसके चीफ कोच मोहम्मद हबीब थे. इसके उदघाटनके मौके पर टाटा स्टील के तत्कालीन चेयरमैन सह मैनेजिंग डायरेक्टर रुसी मोदी ने कहा था कि टीएफए का गठन इसलिए नहीं किया गया कि टाटा की एक टीम बना दी जाये बल्कि भारत में एक फुटबॉल का आधार स्तंभ बनायी जाये. आने वाले पांच साल में भारत में फुटबॉल का जबरदस्त ग्रोथ हो सके. नये खिलाड़ियों को आगे लाना यहीं उद्देश्य है. (पूरा खबर नीचे देखें)
अब तक 252 कैडेट टीएफए ने देश में तैयार किया है. वर्तमान में 150 कैडेट भारतीय फुटबॉल टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी है यानी करीब 60 फीसदी कैडेट. 24 कैडेट ऐसे है, जो भारतीय फुटबॉल टीम के विभिन्न उम्र सीमा में कप्तान तक रह चुके है. वर्तमान के इंडियन सुपर लीग में 21 पुराने कैडेट, जो टीएफए से निकले है, वे आइएसएल में है. फुटबॉल के क्षेत्र में टीएफए के पूर्व कैडेट सुब्रत पॉल और दीपक मंडल अर्जुन अवार्ड हासिल कर चुके है. ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की ओर से टीएफए को फोर स्टार का एक्रेडेशन मिल चुका है. ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआइएफएफ) की ओर से भारतीय फुटबॉल में योगदान के लिए अवार्ड दिया जा चुका है. दी हॉल ऑफ फेम यूथ डेवलपमेंट अवार्ड इंडियन फुटबॉल की ओर से दिया जा चुका है.