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jharkhand-cricket-good-news-बोकारो में बनेगा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, बोकारो स्टील और झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के बीच हुआ ऐतिहासिक एमओयू, jamshedpur-जमशेदपुर का अंतरराष्ट्रीय स्तर का कीनन स्टेडियम का कब बदलेगा भाग्य, अहम सवाल पर क्यों चुप है क्रिकेट एसोसिएशन और टाटा स्टील

झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन और बोकारो स्टील के बीच हो रहा एमओयू का तस्वीर.

बोकारो : झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन और बोकारो स्टील के बीच बालीडीह में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाया जायेगा. इसको लेकर शुक्रवार को लीज समझौता पर हस्ताक्षर किया गया. एक समारोह के दौरान इसका लीज समझौता पर हस्ताक्षर किया गया, जिस पर बोकारो स्टील के डायरेक्टर प्रभारी अमलेंदू प्रकाश और बीसीसीआई के पूर्व सचिव अमिताभ चौधरी गवाह बने और अधिकारियों ने लीज समझौता पर हस्ताक्षर किया. इस दौरान यह जानकारी दी गयी कि यह स्टेडियम 20 एकड़ की जमीन पर बनाया जायेगा, जिसकी जमीन बोकारो स्टील ने झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन को जमीन उपलब्ध करायी है. यहां 20 हजार दर्शकों की क्षमता वाला यह स्टेडियम होगा. रांची में भी इस तरह का स्टेडियम बनाया गया है, जिसको अमिताभ चौधरी की ही देखरेख में बना है. इस दौरान विस्थापितों की जो समस्या है, उन सारी समस्याओं का निराकरण करने का फैसला लिया जायेगा. यह जानकारी बोकारो स्टील के निदेशक प्रभारी अमलेंदू प्रकाश ने दी. श्री प्रकाश ने बताया कि जमीन नियम के तहत ही दिया जायेगा. यह झारखंड का तीसरा अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम होगा. पहला जमशेदपुर का कीनन स्टेडियम और दूसरा रांची का क्रिकेट स्टेडियम है. (नीचे पढ़े कीनन स्टेडियम का क्या है हाल)

जमशेदपुर का ऐतिहासिक कीनन स्टेडियम.

जमशेदपुर का कीनन स्टेडियम कायाकल्प के इंतजार में
झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन और टाटा स्टील के बीच खींचतान के चक्कर में जमशेदपुर से क्रिकेट का नामोंनिशां मानो मिट चुका है. बिहार से लेकर झारखंड में जमशेदपुर इकलौता शहर था, जहां अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी आते थे और क्रिकेट भी होता था, लेकिन यह अब सपना हो गया है. अमिताभ चौधरी अध्यक्ष बने तो झारखंड की राजधानी रांची में लाजवाब स्टेडियम बनवाया और आज वह दुनिया के शीर्ष स्टेडियम में शामिल है. लेकिन कीनन स्टेडियम, जिसका पुराना इतिहास रहा है, वह मटियामेट हो चुका है. 22 नवंबर 1939 को इसका उदघाटन हुआ था. यह जान लारेंस कीनन के नाम पर बनाया गया है. टाटा कंपनी के ब्लास्ट फर्नेस में बतौर फोरमैन काम करने आये लारेंस कीनन 25 साल तक सेवा देने के बाद दिसंबर 1937 में भारत छोड़कर चले गये. कीनन को विदाई देने के लिए 24 नवंबर 1937 को सभा आयोजित की गयी थी, जिसमें तय हुआ कि कीनन की यादों को जिंदा रखने के लिए एक विशाल स्टेडियम बनेगा. इसके बाद ही स्टेडियम बनाया गया. 18 हजार की क्षमता वाले इस स्टेडियम का आकार 65 यार्ड है. देश का 78वां सबसे बड़ा ग्राउंड है. यहां पहला मैच 7 दिसंबर 1983 को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला गया था. अंतिम क्रिकेट मैच 12 अप्रैल 2006 को भारत और इंग्लैंड मैच के बीच खेला गया था. भारत पांच विकेट से हार गया था. यहां खेले गये नौ मैच में भारत को सिर्फ एक मैच में ही जीत मिली है. भारत ने 2000 में दक्षिण अफ्री को छह विकेट से हराया था. कीनन स्टेडियम में कालीचरण, गैरी सोबर्स, विवियन रिचर्डस, सचिन तेंदुलकर, सौरभ गांगुली, चेतन शर्मा, कपिलदेव और एमएस धौनी जैसे क्रिकेटर खेल चुके है. इतने इतिहास के बावजूद आज यह स्टेडियम अपनी पहचान खोता नजर आ रहा है. लेकिन इस ऐतिहासिक स्टेडियम को लेकर टाटा स्टील और झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन दोनों ने चुप्पी साध ली है.

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