जमशेदपुर : हीमोफीलिया सोसायटी, जमशेदपुर चैप्टर की ओर से शनिवार को खासमहल स्थित सिविल सर्जन कार्यालय में हीमोफीलिया बीमारी पर आधारित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें जिले और बाहर से आए विशेषज्ञ चिकित्सक उपस्थित थे. उन्होंने कार्यशाला में चिकित्सकों और नर्सों समेत विभिन्न एनजीओ के प्रतिनिधियों हीमोफीलिया को जड़ से उखाड़ फेंकने के संबंध में सूक्ष्म जानकारियां साझा की. उन्होंने बताया कि नाल काटे जाने के बाद खून का निरंतर बहना, दांत मसूड़ों से ज्यादा खून निकलना, चोट लगने पर ऑपरेशन के बाद अथवा दांत निकालने के बाद देर तक खून बहते रहना, अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने के लिए बार-बार प्लाज्मा या खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ना आदि हीमोफीलिया बीमारी के अनेक लक्षण हैं. (नीचे भी पढ़ें)
इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में कैसे पहचाने जाएं, कोई व्यक्ति हीमोफीलिया पीड़ित हो गया है तो उसका उपचार कैसे किया जाए और इस बीमारी को जड़ से रोकने के क्या उपाय किए जाएं, इन सभी विषयों पर जानकारी साझा की गयी. इससे पूर्व मुख्य अतिथि सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला की शुरुआत की. (नीचे भी पढ़ें और वीडियो देखें)
डॉक्टर शाहिर पॉल ने बताया कि हीमोफीलिया एक रक्त स्त्राव से संबंधित बीमारी है. वर्तमान में सदर अस्पताल में जिले में चिन्हित 70 हीमोफीलिया के रोगी अपना इलाज करवाने आते हैं. उन्होंने कहा कि इस रोग की रोकथाम कैसे करनी है, इसे बढ़ने से कैसे रोकना है, इसका इलाज कैसे करना है, ऐसे विभिन्न विषयों पर हीमोफीलिया सोसायटी जमशेदपुर चैप्टर की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया है, जिसमें विशेषज्ञ विषयवस्तु पर आधारित जानकारी साझा कर रहे हैं.