जमशेदपुर : वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर सीएसआईआर-एनएमएल में “धात्विक समिश्र में तरल, कांच और क्रिस्टलीय स्टेट के बीच संक्रमण” विषय पर आज प्रो. पी.आर. राव स्मारक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन प्रो. एन.पी. गांधी मेमोरियल धातुकर्म ट्रस्ट, धातुकर्म इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी, सामग्री अभियांत्रिकी विभाग,आईआईएससी और सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला, जमशेदपुर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। यह व्याख्यान प्रो पी रामचंद्र राव के सम्मान में किया किया, जोकि एक महान प्रतिष्ठित और उच्चाकांक्षा वाले सामग्री वैज्ञानिक थे, जिन्होंने तेजी से ठोसीकरण, मेटलीक ग्लास, क्वासिकक्रिस्टल और बायोमिमेटिक्स में शोध करने का बीड़ा उठाया था,उन्होंनेमेटलर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी (बीएचयू) में लंबे समय तक अध्यापन किया। उन्होंने वर्ष (1992-2002) में निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला तथावर्ष (2002-05) में कुलपति, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और वर्ष (2005-07) में कुलपति, रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दीं। (नीचे भी पढ़ें)
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. सुनील मोहन, आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी द्वारा दिए गए स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने सभी प्रतिभागियों और मुख्य अतिथि को धन्यवाद दिया। डॉ. अरविंद सिन्हा, मुख्य वैज्ञानिक और सलाहकार प्रबंधन सीएसआईआर, एनएमएल ने प्रो. पी. रामचंद्र रावस्मृति व्याख्यान के बारे में बतलाया। प्रो. एन.के. मुखोपाध्याय, आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी ने मुख्य वक्ता प्रो. ए.एल. ग्रीर का परिचय दिया, जिन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से धातुकर्म और सामग्री विज्ञान मेंबी.ए. (1976) और पीएच.डी. (1979) की डिग्री प्राप्त की। उनकी वर्तमान शोध रुचियां धात्विकग्लासेस (मुख्य रूप से उनकी संरचना और उनके यांत्रिक गुणों की विस्तृत श्रृंखला), संघनित प्रणालियों में न्यूक्लिएशन, कंप्यूटर मेमोरी के लिए चाकोजेनाइड चरण-परिवर्तन सामग्री, और मिश्र धातुओं के ठोसीकरण में ग्रेन शोधन विशेष रूप से एल्यूमीनियम मिश्र (प्रायोगिक अध्ययन और मॉडलिंग) आदि हैं। (नीचे भी पढ़ें)
इसके अलावा, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रो. ए.एल. ग्रीर ने व्याख्यान दिया। उन्होंने मिश्र धातुओं में तरल, कांच और क्रिस्टलीय अवस्थाओं के बीच संक्रमण के मूल सिद्धांतों को अच्छी तरह से समझाया। उनका व्याख्यान प्रतिभागियों के लिए विचारोत्तेजक था। कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलतापूर्वक ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया जिसमें 155 से अधिक वैज्ञानिकों, प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. विकास जिंदल, आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। उन्होंने कहा कि इस स्मारक व्याख्यान के दोहरे फायदे हैं कि हम दुनिया की प्रसिद्ध हस्तियों को याद करते हैं और साथ ही अपने ज्ञान के आधार को आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।